सिविल अस्पताल को एक सितंबर को मिलेगा दवाइयों का नया स्टाक, आज इमरजेंसी स्टाक लेने जाएगी टीम
दो महीने से नया स्टाक नहीं आया है। ऐसे में मरीजों को मजबूरन प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीदनी पड़ रहीं हैं। यहां तक कि वार्ड में भर्ती मरीजों को भी अपने खरीदे हुए ग्लूकोज सुई सिरिज व दवाइयों से इलाज करवाना पड़ रहा है।
संवाद सहयोगी, पठानकोट: दवाइयों की कमी से जूझ रहे सिविल अस्पताल को एक सितंबर को दवाइयों का स्टाक मिलने की उम्मीद है। बता दें कि अस्पताल पचास प्रतिशत से अधिक दवाइयों का स्टाक खत्म है। दो महीने से नया स्टाक नहीं आया है। ऐसे में मरीजों को मजबूरन प्राइवेट मेडिकल स्टोर से दवाइयां खरीदनी पड़ रहीं हैं। यहां तक कि वार्ड में भर्ती मरीजों को भी अपने खरीदे हुए ग्लूकोज, सुई, सिरिज व दवाइयों से इलाज करवाना पड़ रहा है। अब सिविल अस्पताल प्रशासन की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया है कि वेरका ड्रग हाउस अमृतसर से एक सितंबर को दवाइयों का स्टाक भेजे जाने की जानकारी दी गई है। इसके चलते एक सितंबर के बाद से सिविल में आने वाले मरीजों को राहत मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही एसएमओ डाक्टर सुनील चंद ने बताया कि अस्पताल को एक सितंबर को 130 तरह की दवाइयों का स्टाक मिलने की संभावना है।
इमरजेंसी स्टाक लेने आज टीम जाएगी वेरका हाउस
सिविल में पिछले करीब दो महीने से ज्यादा के समय से इमरजेंसी स्टाक की भी भारी कमी चल रही है। अस्पताल प्रबंधन जनऔषधि केंद्र या फिर बाहर से इमरजेंसी ड्रग्स खरीद कर जैसे-तैसे काम चला रहा है। राहत भरी खबर है कि अस्पताल में शनिवार से इमरजेंसी ड्रग्स उपलब्ध होंगे। जानकारी देते कार्यकारी एसएमओ डाक्टर सुनील चंद ने बताया कि इमरजेंसी ड्रग्स लेने के लिए टीम शुक्रवार को सिविल अस्पताल से अमृतसर स्थित वेरका ड्रग हाउस रवाना होगी व शनिवार को वार्ड में मरीजों के लिए इमरजेंसी ड्रग्स मिल जाएंगे।
दो महीने से चल रही है दवाइयों की कमी
अस्पताल में दवाइयों की कमी पिछले करीब दो महीने से चल रही है। इमरजेंसी ड्रग्स तक की कमी चल रही है। ऐसे में मरीजों को कई बार रेफर भी करना पड़ा। अस्पताल की फार्मेसी में भी मरीजों के लिए लिखी जाने वाली दवाइयों का 50 प्रतिशत से अधिक स्टाक खत्म हो चुका है। गर्भवती महिलाओं को दी जाने वाली आयरन व कैल्शियम की दवाई की भी भारी कमी चल रही है। अस्पताल में काटन रोल, इंजेक्शन, सिरिज तक की भी भारी कमी चल रही है। वहीं, एंटी रैबिज इंजेक्शन भी पिछले करीब दो महीने से ज्यादा के समय से खत्म चल रहा है। एक बार कुत्ते के काटने पर मरीज को चार एंटी रैबिज इंजेक्शन लगवाने होते हैं और एक इंजेक्शन का दाम प्राइवेट में 350 रुपये है। वहीं, डाक्टर से द्वारा लिखी जाने वाली दवाइयों में से एक या दो दवाइयां की फार्मेसी से मिल रही हैं। ऐसे में मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं। स्टाक आ जाने से मरीजों की मुश्किलें हल हो जाने की संभावना है।