एडवोकेट मन्हास संग वकीलों ने डीएफओ को लिया आड़े हाथ, बोले
मंगलवार को पठानकोट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट कुलभूषण मन्हास के साथ वकीलों के शिष्टमंडल ने डीएफओ डॉक्टर संजीव तिवारी से भेंट की। मुलाकात करने के दौरान उन्होंने दावा किया कि वन विभाग हाईकोर्ट के जिस आदेश की व्याख्या करके धार की 27,000 एकड़ जमीन खाली करने के लिए अभियान छेड़ चुका है, वह गलत है। एडवोकेट मन्हास ने कहा कि उन्होंने हाईकोर्ट का फैसला पढ़ा है। इसमें कहा गया है कि धार की शामलाट जमीन जोकि वन विभाग के पास होनी चाहिए थी में अगर किसी का कब्जा है तो उसे खाली करवाया जाए। उन्होंने कहा कि पूरे फैसले में कहीं भी नहीं कहा गया है कि जमीन मालिकों से जमीन खाली करवाई जाए।
श्याम, पठानकोट : मंगलवार को पठानकोट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एडवोकेट कुलभूषण मन्हास के साथ वकीलों के शिष्टमंडल ने डीएफओ डॉक्टर संजीव तिवारी से भेंट की। मुलाकात करने के दौरान उन्होंने दावा किया कि वन विभाग हाईकोर्ट के जिस आदेश की व्याख्या करके धार की 27,000 एकड़ जमीन खाली करने के लिए अभियान छेड़ चुका है, वह गलत है। एडवोकेट मन्हास ने कहा कि उन्होंने हाईकोर्ट का फैसला पढ़ा है। इसमें कहा गया है कि धार की शामलाट जमीन जोकि वन विभाग के पास होनी चाहिए थी में अगर किसी का कब्जा है तो उसे खाली करवाया जाए। उन्होंने कहा कि पूरे फैसले में कहीं भी नहीं कहा गया है कि जमीन मालिकों से जमीन खाली करवाई जाए।
नोटिसों से सहमे चुके उद्यमी व लोग
शिष्टमंडल में वरिष्ठ वकील अशोक पराशर सहित विभिन्न कानून के जानकार वकील भी शामिल थे। डीएफओ ने शिष्टमंडल की बात ध्यानपूर्वक सुनी और कहा कि विभाग माहिरों के साथ परामर्श से ही हर कदम उठा रहा है। इसके विपरीत वकीलों ने कहा कि वन विभाग धड़ाधड़ नोटिस जारी किए जा रहा है। इन नोटिसों से उद्यमियों में जहां डर का माहौल है। वहीं करोड़ों रुपये निवेश करके धार में जमीनें खरीदने वाले लोग भी भय में हैं। यह सरासर नाइंसाफ है।
नोटिस के सेपरेट डाक्यूमेंट मांगे
शिष्टमंडल ने ऐसे प्रमाण पत्रों की कापियां देने की भी मांग कि जिसे डीएफ ओ ने स्वीकार करते हुए कहा कि वह पारदर्शी तरीके से काम करने के पक्ष हैं। इसके विपरीत मांग पत्र की प्रति दैनिक जागरण को देते हुए एडवोकेट मन्हास ने कहा कि वन विभाग बिना तर्क के ही काम किए जा रहा है।
कोर्ट के आदेश पर ही काम
पठानकोट के डीएफ ओ संजीव तिवारी ने स्पष्ट किया कि वन विभाग हाईकोर्ट की भावनाओं के अनुसार ही काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि कुल 27,000 एकड़ जमीन खाली करवाने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और यह सिलसिला बंद नहीं होगा। तिवारी ने कहा कि मामला पर्यावरण संरक्षण का है।