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अनदेखी का दाग नहीं धो पाया 80 फीसद विकास

पांच साल पहले गांव से निगम का हिस्सा बने वार्ड 49 का केवल नंबर ही बदला है। वार्डबंदी से पहले यह वार्ड 45 के नाम से जाना जाता था।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Jan 2021 10:17 PM (IST)Updated: Thu, 21 Jan 2021 10:17 PM (IST)
अनदेखी का दाग नहीं धो पाया 80 फीसद विकास
अनदेखी का दाग नहीं धो पाया 80 फीसद विकास

विनोद कुमार, पठानकोट : पांच साल पहले गांव से निगम का हिस्सा बने वार्ड 49 का केवल नंबर ही बदला है। वार्डबंदी से पहले यह वार्ड 45 के नाम से जाना जाता था। वार्डनिवासी पांच साल के दौरान करवाए गए काम से खुशी नजर आ रहे हैं। विकास जमीन पर दिखाई दे रहा है। वार्ड में सीवरेज व वाटर सप्लाई की नई लाइन बिछाने का काम शुरू हो चुका है। कुछेक एरिया में स्ट्रीट लाइट भी लग गई है। वार्ड में करवाए गए विकास कार्यों को लेकर पूर्व पार्षद अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं विपक्षी दल इसे हवा हवाई बता रहा है। उनका आरोप है कि वार्ड के अधीन आते महत्वपूर्ण एरिया भरोली खुर्द के लोगों के साथ पूरी तरह से भेदभाव वाली नीति अपनाई है। भरोली खुर्द में अभी तक न तो सीवरेज लाइन बिछाई गई है और न ही स्ट्रीट लाइट की कोई सुविधा मिली है। गलियों-नालियों का बुरा हाल है। सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चरमराई हुई है। लिहाजा, थोड़ा बहुत जो काम हुआ वह सरना एरिया में ही करवाकर लोगों के साथ सौतेला व्यवहार अपनाया गया है।

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वायदे हो हुए पूरे

-सीवरेज व पानी की नई लाइन बिछवाई गई

-वार्ड में सारी गलियों में इंटरलाकिग टायलें लगवाने का काम पूरा किया।

-750 जरूरतमंद परिवारों का नीला राशन कार्ड बनाया।

-वार्ड के 70 फीसद एरिया में स्ट्रीट लाइटें लगवाई।

-सरना में नया ट्यूबवेल लगाने का प्रस्ताव पारित किया गया।

-सफाई व्यवस्था को सुधार।

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वायदे जो रहे गए अधूरे

-वार्ड के अधीन भरोली खुर्द में स्ट्रीट लाइट की सुविधा का काम अभी शेष।

-सरना में पार्क का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो पाया।

- भरोली खुर्द में नहीं बिछाई गई सीवरेज

-नालियों की नहीं हो रही सफाई व्यवस्था।

-गलियों का निर्माण कार्य भी बीच में रह गया।

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वार्ड के कुल मतदाता

कुल मतदाता -3495

पुरुष - 1625

महिला- 1870

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सीट महिला एससी रिजर्व

-पिछली बार भी यह सीट एससी महिला के लिए रिर्जव थी।

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वार्ड के अधीन आता एरिया

वार्ड में किसी तरह का कोई बदलवा नहीं किया गया है। पहले यह वार्ड नंबर 49 था, जिसे बदल कर अप 45 बना दिया गया है। वार्ड के अधीन भरोली खुर्द, बुड्ढानगर, सरना नहर, सरना मशीन व छोटी नहर गुज्जर कालोनी।

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लग रहा है वह शहर का हिस्सा हो गए हैं : परमिद्र सिंह

वार्डवासी परमिद्र सिंह का कहना है कि अधिकतर हिस्से में स्ट्रीट लाइटें लगाई गई है। हालांकि सीवरेज की सुविधा मिलना तो शुरू नहीं हुई, परंतु लाइन डालने का काम तेजी से हो रहा है। आने वाले तीन से चार महीनों में सीवरेज लाइन भी शुरू हो जाएगी। ऐसा लगता है कि वह शहर का हिस्सा हो गए है।

वार्ड में काम तो दिखाई दे रहे है: राजू शर्मा

वार्डवासी राजू शर्मा का कहना है कि बेशक देरी से ही सही वार्ड में काम तो हुए हैं। पहले दो साल में इतने काम नहीं हुए, जितने पिछले तीन वर्षों में हुए हैं। वार्ड के ज्यादातर एरिया में सीवरेज व पानी की नई लाइन बिछा दी गई है। जरूरतमंद परिवारों के नीले राशन कार्ड भी काफी ज्यादा बने हैं। थोड़े बहुत काम अभी शेष है जो आचार संहिता लगने के कारण रुक गए हैं। बावजूद इसके वार्ड में हुए काम लोगों को दिखते हैं।

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80 फीसद से ज्यादा कार्यों को करवाया पूरा : शालू

वार्ड की पूर्व पार्षद शालू भट्टी का कहना है कि गांव से शहरी एरिया बनने के बाद लोगों को सीवरेज की सुविधा मुहैया करवाई जा रही है। जरूरतमंद परिवारों के नीले राशन कार्ड बनाने के अलावा सफाई व्यवस्था को यकीनी बनाया गया। इतना ही नहीं सरना में पीने वाले पानी की किल्लत को दूर करवाने के लिए वहां नया ट्यूबवेल भी पारित करवाया। चुनाव के दौरान जनता से जितने वायदे किए थे उसमें से 80 फीसद से ज्यादा कार्यों को पूरा करवाया है। शेष रहते बीस फीसद कार्यों को पूरा करने के लिए वह दोबारा जनता के बीच जाकर फिर से मौका देने की मांग करेंगी।

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भरोली खुर्द के साथ हुई अनदेखी : सोनिका जसवाल

वर्ष 2015 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़ चुकी सोनिका जसवाल का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद पार्षद शालू भट्टी ने भरोली खुर्द की ओर बिलकुल भी कोई ध्यान नहीं दिया। भरोली खुर्द वार्ड का महत्वपूर्ण एरिया है परंतु वहां के लोग आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। यहां न तो कोई सीवरेज की लाइन बिछी है और न ही स्ट्रीट लाइट लगाने पर कोई ध्यान दिया गया। वार्ड में गंदगी बिखरी रहती है। कोई सफाई नहीं हो रही। शहर का हिस्सा बनने के बाद भी लोग नरकीय जीवन जीने को मजबूर हैं। निगम का हिस्सा बनने से पहले जब वह गांव होता था तब लोगों की समस्याओं का पहल के आधार पर हल हो जाता था।


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