धार के आवले का जमाना दीवाना
कोरोना महामारी के बाद आवला लोगों की पसंद बन गया है। अब बाजारों में आवले की डिमांड बढ़ गई है।
राज चौधरी, पठानकोट
कोरोना महामारी के बाद आवला लोगों की पसंद बन गया है। अब बाजारों में आवले ने दस्तक दी है तो पठानकोट के अर्धपहाड़ी क्षेत्र धार, दुनेरा तथा फंगोता के जंगलों में प्रचुर मात्रा में पैदा होने वाले देसी आवले की इन दिनों डिमाड बढ़ गई है। वनों की सुरक्षा में तैनात कमेटियों की ओर से आवले को तोड़ थ्रेडिंग एवं सोलर ड्राइर के बाद डॉबर, धनवंतरी हर्बल जैसी कंपनियों के साथ बाजार में भी सप्लाई हो रही है। विलेज फॉरेस्ट कमेटियों के तहत आवला एकत्रित करने के साथ ही कच्चा आवले के साथ ही आचार, मुरब्बा, जूस तथा कैंडी के तौर पर लोगों के पास पहुंच रहा है। जिले के 32 सेल्प हल्प ग्रुप तैयार करते हैं प्रोडक्ट
जिले में 72 सेल्फ हेल्प ग्रुप में से 32 ग्रुप आवला कारोबार से जुड़े हैं। ये लोग जंगलों से आवला तोड़ कर ले आते है तथा बाद में इसकी सरैडिंग कर तथा ड्राइर कर कंपनियों को भेज दिया जाता है। पठानकोट के गाव कुकड़ई की सुदर्शना देवी अपने इन्हीं प्रोडेक्ट के कारण जहा प्रधानमंत्री की ओर से महिला किसान के रूप में पंजाब भर से चयनित भी हो चुकी है। थाइलैंड की एक टीम सुदर्शना द्वारा तैयार आचार,मुरब्बे आवला से तैयार प्रोडक्ट तथा जूस सहित अन्य कई प्रकार की विधियों की जानकारी लेने के लिए खास तौर पर उनसे चर्चा के लिए आ चुकी है। पठानकोट में ग्रीनिश आवला
पठानकोट के जंगलों में ग्रीनिश आवला बड़ी मात्रा में तैयार होता है जबकि वाइटिश की पैदावार बहुत कम है। ग्रीनिश आवला देसी होने के कारण भले ही साइज में छोटा होता है परंतु इसमें वाइटिश आवले की बजाये पौष्टिक तत्व कताई भी कम नहीं होते। अकेले फंगोता में 10 किला जंगल में आवले का बाग
बढ़ती डिमाड को देख एवं लोगों की आय स्त्रोतों को बढ़ाने के लिए फंगोता में 10 किला जंगल भूमि पर आवला का बाग लगाया गया है। इस बाग में आवला तैयार होने के बाद कमेटियों की ओर से इसे तोड़ लिया जाता है तथा इसका पलप निकाल कर आगे कंपनियों को बेचा जाता है। इन कमेटियों की ओर से लगाई गई पंद्रह सरैंडर मशीनों तथा 15 सोलर ड्राइर की मदद से इन्हें सूखा लिया जाता है तथा आगे 80 से लेकर 120 रुपये की कीमत पर बेच दिया जाता है। डॉबर-धनवंतरी हर्बल सहित अन्य जगह दी जाती है सप्लाई
जिला की कमेटिया आवला का पलप निकाल कर आगे इसे 80 से लेकर 120 रूपए की कीमत पर बेच देती है। डॉबर,उन्नति फाउंडेशन तलवाड़ा, श्री धनवंतरी हर्बल फार्मास्टिकल कंपनी अमृतसर सहित विभिन्न जगहों पर आवला की सप्लाई की जाती है। इस कमेटी की ओर से दो दिन पहले ही 15 क्विंटल आवला उन्नति फाउंडेशन तलवाड़ाको भेजा गया है जिसकी कीमत अनुमति दो लाख रुपये है। रिटेल तथा थोक में लिया जाता है एक जैसा रेट : डीएफओ
डीएफओ डॉ. संजीव तिवारी के नेतृत्व में चलने वाली इन विलेज फारेस्ट कमेटियों की ओर से रिटेल तथा थोक में बेचे जाने वाले रेट को एक सामान्य ही रखा गया है। डीएफओ के अनुसार थोक तथा रिटेल में सिर्फ दो से लेकर 5 रुपये तक ही रेट में बदलाव होता है। इसके अतिरिक्त पठानकोट के आउटलेट सेंटर में भी इसका रेट बाहरी रेट के सामान्य ही है।