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नवांशहर की सड़कों पर धुंध व रात में बिना रिफ्लेक्टर वाहन मौत का सिग्नल

शहर की सड़कों पर बिना रिफ्लेक्टर ट्रैक्टर व ट्रालियां सर्दियों के दिनों में धुंध पड़ने से दुर्घटना का कारण बनते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Dec 2020 04:58 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2020 04:58 PM (IST)
नवांशहर की सड़कों पर धुंध व रात में बिना रिफ्लेक्टर वाहन मौत का सिग्नल
नवांशहर की सड़कों पर धुंध व रात में बिना रिफ्लेक्टर वाहन मौत का सिग्नल

मुकेश बिट्टू, नवांशहर : शहर की सड़कों पर बिना रिफ्लेक्टर ट्रैक्टर व ट्रालियां सर्दियों के दिनों में धुंध पड़ने से दुर्घटना का कारण बनते हैं। पुलिस प्रशासन ऐसे वाहनों पर कार्रवाई करने में नाकाम साबित हो रही है। रात के अंधेरे व धुंध में हाईवे पर पीछे से तेज रफ्तार आने वाले वाहनों को बिना रिफ्लेक्टर वाले वाहन दिखाई नहीं देते हैं। इसके साथ ही अगर सामने से आ रहे वाहन की लाइट अचानक आंखों पर पड़ती है तो दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है। कई ऐसे सड़क हादसे हो चुके हैं। रात और धुंध के वक्त बिना रिफ्लेक्टर और तेज रफ्तार वाहनों पर रोक लगाने में पुलिस गंभीर नहीं है। ट्रैफिक पुलिस कार व दो पहिया वाहन चालकों के चालान तो काटती है, लेकिन ट्रैक्टर-ट्राली को सिर्फ रेत के लिए ही चेक किया जाता है। इस कारण बिना रिफ्लेक्टर वाहन धुंध और रात में मौत का सिग्नल बनकर घूम रहे हैं।

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दिसंबर व जनवरी में होते हैं ज्यादा हादसे

जिला पुलिस सर्दियों में धुंध में होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए हर साल दिसंबर में जागरूकता सप्ताह व जागरूकता पखवाड़ा मनाती है। जगह-जगह ट्रैफिक पुलिस शिविर लगाकर लोगों को जागरूक करती है। जिले के स्कूलों, टैक्सी स्टैंड व ट्रक यूनियनों में भी शिविर लगाए जाते हैं। हर तरह से लोगों को जागरूक करने की कोशिश की जाती है। इसके बावजूद सबसे ज्यादा दुर्घटनाएं दिसंबर और जनवरी में ही होती हैं। पुलिस की ओर से लोगों को जागरूक करने की मुहिम महज खानापूर्ति ही साबित होती है।

राहों रोड से नवांशहर शुगर मिल तक सबसे ज्याद बिना रिफ्लेक्टर वाहन

शहर में सबसे ज्यादा बिना रिफ्लेक्टर वाहन राहों रोड से नवांशहर शुगर मिल तक चलते हैं। शुगर मिल खुलते ही गन्ने से ओवरलोड व बिना रिफ्लेक्टर ट्रालियों की लाइनें लग जाती हैं। रात में ये वाहन दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। ट्रैक्टर-ट्रालियां तेज रफ्तार में आती हैं। कई बार यह ट्रैक्टर-ट्रालियां ओवरलोड होने के कारण खुद ही दुर्घटनाग्रस्त हो जाती हैं। इनमें से ज्यादातर के पीछे रिफ्लेक्टर नहीं लगे होते हैं। वहीं हाईवे पर बलाचौर, बंगा व गढ़शंकर रोड के गांवों की ओर से भी ट्रैक्टर व ट्रालियां शुगर मिल जाने के लिए आती हैं।

पखवाड़े के दौरान लगाए जाते हैं रिफ्लेक्टर : रत्न सिंह

ट्रैफिक इंचार्ज रत्न सिंह का कहना है कि हर साल लोगों को जागरूक करने के लिए जिला पुलिस जागरूकता पखवाड़े लगाती है। ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए शिविरों में लोगों को जागरूक किया जाता है। इस दौरान बिना रिफ्लेक्टर और विशेष तौर पर शुगर मिल में आने वाली सैकड़ों ट्रॉलियों के पीछे रिफ्लेक्टर लगाए जाते हैं।


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