सांझी रसोई में रोज 10 रुपये में खाना खाते हैं 200 लोग पेट
नवांशहर में चल रही सांझी रसोई गरीब लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। एनजीओ वतन के सहयोग से रेडक्रास इसे चला रहा है और रोजाना इसमें सैकड़ों लोग मात्र दस रुपये में पेट भर खाना खाते हैं।
जेएनएन, नवांशहर : नवांशहर में चल रही सांझी रसोई गरीब लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है। एनजीओ वतन के सहयोग से रेडक्रास इसे चला रहा है और रोजाना इसमें सैकड़ों लोग मात्र दस रुपये में पेट भर खाना खाते हैं। एक मई 2017 को प्रदेश सरकार ने पूर राज्य में सांझी रसोई शुरुआत की थी। इसके तहत गरीबों को कैंटीन के अंदर बिठाकर खाना खिलाया जाएगा। सरकार ने ही इसमें 10 रुपये में जरूरतमंदों को भर पेट खाना देने की शुरुआत की थी। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह द्वारा पूरे प्रदेश में शुरू की गई सांझी रसोई सरकार के ड्रीम प्रोजेक्टों में से यह एक है। नवांशहर की तत्कालीन डीसी सोनाली गिरि, कांग्रेसी विधायक अंगद सिंह, विधायक चौधरी दर्शन लाल मंगुपूर भी आम लोगों के साथ बैठकर इस कैंटीन में खाना खा चुके हैं। डीसी सोनाली गिरि ने सांझी रसोई में लोगों को दस रुपये में पेट भर खाना देने के लिए प्रयास किए थे। उन्होंने एनआरआइ, आढ़तियों और समाज सेवियों के सहयोग से पैसा इकट्ठा किया था। क्षेत्र के समाज सेवी लोगों की मदद से सांझी रसोई को चलाया जाता है। पहले इसे डीसी कांप्लेक्स में शुरू किया गया था। इसके बाद इसे जिला अस्पताल में शिफ्ट कर दिया। अब फिर से इसे नए बने डीसी कांप्लेक्स में शिफ्ट कर दिया गया है।
साफ बर्तन में दिया जाता है खाना
सांझी रसोई में हर रोज करीब 200 लोग खाना खाते हैं। उन्हें अच्छे तरीके से प्लेटों में खाना परोसा जाता हैं। हर रोज विभिन्न तरह के व्यंजन तैयार किए जाते है। इस रसोई में सरकारी कर्मचारी व मजदूर लोग एक-साथ बैठकर खाना खाते हैं। ज्यादातर सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले व डीसी कांप्लेक्स के बाहर टाईपिस्ट और फोटो स्टेट की दुकानों पर काम करने वाले लोग खाना खाते हैं
एक ओर काउंटर की जरूरत
डीसी विनय बुबलानी ने बताया कि इससे पहले जिला अस्पताल में सांझी रसोई का एक काउंटर चलाया जा रहा है और सिविल अस्पताल दूर होने के कारण शहर में एक ओर काउंटर की जरूरत महसूस की जा रही थी। इसके बाद डीसी कांप्लेक्स के साथ ही एक अन्य काउंटर चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि किसी भी जरूरतमंद से 10 रुपए से ज्यादा नहीं वसूले जाते हैं। एनजीओ वतन के वारिस जिला रेडक्रॉस सोसायटी के सहयोग से इस प्रोजेक्ट बिना लाभ-हानि के चला रहा है।।