अनूठा जज्बा: लॉकडाउन में अकेले भर दिए पंजाब के इस शख्स ने सड़कों के सैकड़ों गड्ढे
बिहार के दशरथ मांझी की तरह पंजाब के 45 वर्षीय सुरिंदर सिंह ने अनूठा जज्बा दिखाया और लॉकडाउन में सड़कों पर बने सैकड़ों गड्ढे अकेले भर दिए।
राहों [रोहित कुमार जैन]। बिहार के दशरथ मांझी की तरह ही हैं नवांशहर के 45 वर्षीय सुरिंदर सिंह। भले ही उन्होंने पहाड़ का सीना चीरकर रास्ता न बनाया हो, लेकिन कोरोना काल में अकेले ही क्षेत्र की सड़कों के गड्ढे ईंटों व पत्थरों से भरकर लोगों की राह जरूर आसान कर दी है। इलाके की सड़कों की हालत बहुत ही खस्ता थी। सड़कों में जगह-जगह गड्ढे पड़ गए थे। यूं तो हर साल स्थानीय निकाय और लोक निर्माण विभाग बरसात से पहले सड़कों की मरम्मत करवा देते हैं, लेकिन कोरोना संकट के कारण इन विभागों से मरम्मत की उम्मीदें धुंधली पड़ने लगीं। दूसरे लोगों की तरह इस पर सिर्फ चिंता जाहिर करने के बजाय भारटा कलां गांव के सुरिंदर सिंह ने सड़कों की हालत सुधारने में जुट गए।
सुरिंदर सिंह राहों में बैग, अटैची व सूटकेस आदि बनाने व उनकी मरम्मत का काम करते हैं। उनके पास एक पुरानी मारुति कार है। कार के पीछे जोड़ने के लिए उन्होंने जुगाड़ से एक छोटी ट्रॉली बनवा रखी है। इस ट्रॉली में वह आसपास से थोड़ा बहुत सामान लाते रहते हैं। कार और ट्रॉली के साथ वह कर्फ्यू में सड़कों की हालत सुधारने निकल पड़े। उन्होंने भट्ठों से टूटी ईंटें लाकर सड़कों के गड्ढ़े भरना शुरू कर दिया। रोज सड़क के किसी एक हिस्से को चिह्नित कर उसे भरने लगे।
क्षेत्र के आसपास की कई किलोमीटर लंबी सड़कों के सारे गड्ढे उन्होंने दो महीने में भर दिए हैं। सुरिंदर ने राहों-फिल्लौर रोड स्थित झुग्गी झोपड़ी के पास, सैनी अस्पताल के आगे, गुरु नानक पुरा कलां से भारटा खुर्द तथा गांव कंग रोड, राहों-फिल्लौर-माछीवाड़ा टी-प्वाइंट चौक पर सड़क के गड्ढों को ईंटों व पत्थरों से भरकर ठीक किया।
जो बस में था, संकट काल में वही किया
सुरिंदर सिंह कहते हैं कि कर्फ्यू में सभी ने जरूरतमंद लोगों की अपने-अपने तरीके से मदद की। किसी ने राशन दिया तो किसी ने सैनिटाइजर और मास्क बांटे। मैं आर्थिक रूप से अधिक संपन्न नहीं हूं, इसलिए यह सब नहीं कर पाया। क्षेत्र की सड़कों पर पड़े गड्ढों को भरने की इच्छा काफी समय से थी। कर्फ्यू में काम बंद हुआ तो इसे शुरू कर दिया।
नगर कीर्तन व मेलों में करते हैं सफाई
अनूठी सेवा के लिए चर्चित सुरिंदर सिंह क्षेत्र में कहीं भी नगर कीर्तन होता है तो वहां सेवा करने पहुंच जाते हैं। लंगर के बाद फेंके गए गिलास, प्लेटें व अन्य सामान को कार के पीछे लगाई ट्रॉली में इकट्ठा करके डिस्पोज करते हैं।
इन सड़कों पर एक साल में हुए 20 से अधिक हादसे
सुरिंदर सिंह ने जिन सड़कों के गड्ढे भरे हैं, उन पर एक साल में 20 से अधिक हादसे हो चुके हैं। ये सड़कें गांवों को राहों-मत्तेवाड़ा सड़क से जोड़ती हैं। इस पर रोजाना 250 से अधिक छोटे-बड़े वाहन गुजरते हैं। राहों से लुधियाना के लिए यह सबसे छोटा रास्ता है। नवांशहर व गढ़शंकर के वाहन यहीं से गुजरते हैं।
...लेकिन विभागों की लाचारी व बेरुखी
लोक निर्माण विभाग के एक्सईएन जसवीर सिंह कहते हैं कि राहों-मत्तेवाड़ा सड़क हमारे कार्यक्षेत्र में है। कर्फ्यू व लॉकडाउन के कारण गड्ढे नहीं भरे जा सके। सड़क की पूरी मरम्मत का काम अब जल्द शुरू करवाएंगे। उधर, राहों से भारटां कलां वाया गुरु नानक पुरा, गांव कंग से भारटा कलां व गांव भारटा खुर्द से भारटा कलां संपर्क मार्ग मंडी बोर्ड के तहत आते हैं। मंडी बोर्ड के एक्सईएन गुरिंदर सिंह का कहना है कि किसी ने सड़कों के गड्ढे खुद भरे हैं, अभी उनकी जानकारी में यह नहीं है। सुरिंदर सिंह को उनके कार्य के लिए क्या उचित पारितोषिक या मानदेय देंगे, इस बात पर दोनों एक्सईएन चुप्पी साध लेते हैं।
प्रशासन करता है सुरिंदर सिंह के जज्बे और सेवा की कद्र
डीसी नवांशहर विनय बबलानी का कहना है कि प्रशासन सुरिंदर सिंह के जज्बे और सेवा की कद्र करता है। हम उन्हें सम्मानित करेंगे। अगर वह पारिश्रमिक लेना चाहेंगे तो जरूर अदा करेंगे।