दुर्गापुर में आवारा कुत्तों का आतंक, एक माह में 98 लोगों को बनाया शिकार
गांव दुर्गापुर में आवारा कुत्तों के कारण स्थानीय लोगों व राहगीरों में भय का माहौल व्याप्त है। गांव में शायद ही कोई ऐसी सड़क व गली होगी जहां इन्होंने अपना बसेरा न बनाकर रखा हो।
कुलविदर सिंह, नवांशहर : गांव दुर्गापुर में आवारा कुत्तों के कारण स्थानीय लोगों व राहगीरों में भय का माहौल व्याप्त है। गांव में शायद ही कोई ऐसी सड़क व गली होगी, जहां इन्होंने अपना बसेरा न बनाकर रखा हो। राहगीरों में इन आवारा कुत्तों की दहशत स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। इनके कारण बच्चों व महिलाओं को घर से बाहर निकलने में भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। अब तक कई लोग इनके आतंक का शिकार बन चुके है। दिन में तो स्थिति सामान्य रहती है, लेकिन रात के समय राहगीरों में सबसे ज्यादा डर इन्ही के काटने का रहता हैं। प्रशासन द्वारा आवारा कुत्तों को पकड़ने का अभियान काफी समय से बंद कर दिया गया है। जिसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में इनकी संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। बावजूद इसके नगर कौंसिल इन आवारा कुत्तों को नियंत्रित करने की दिशा में कारगर कदम नहीं उठा रहा है।
समाजसेवी जसवंत सिंह भारटा का कहना है कि आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए नगर कौंसिल को पुख्ता कदम उठाने चाहिए। इनकी संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। जिसके कारण बच्चे घर के बाहर खेलने से भी डरते हैं। लोगों के मन में हमेशा यही डर बना रहता है कि कहीं उन्हें कोई कुत्ता न काट ले। सड़कों व मोहल्लों में हर वक्त इन्हें घूमते देखा जा सकता है। लेकिन प्रशासन द्वारा किसी प्रकार की कार्रवाई नहीं की जा रही है।
पूर्व सरपंच आत्मा राम, जसकरन सिंह, करनी पंच, भजना राम नंबरदार दुर्गापुर का कहना है कि आवारा कुत्तों की समस्या से निपटने के लिए नगर कौंसिल को गंभीर प्रयास करना चाहिए। शहर में कुत्तों की नसबंदी के लिए रजिस्ट्रेशन किया जाना चाहिए। कुत्तों के झुंड दिनभर गली के एक कोने से दूसरे कोने में भागते रहते हैं।
इस सबंध में डा. गुरपाल कटारिया का कहना है कि अवारा कुत्तों के काटने के हर रोज चार से पांच मामले आ रहे हैं। एक महीने में 98 मरीज आ चुके है। पिछले महीने करीब 100 मामले आए थे।