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शहीद-ए-आजम के गांव में न म्यूजियम बना, न स्टेडियम

शहीद-ए-आजम भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़कलां में म्यूजियम बनाने का वादा तो कई बार हुआ, लेकिन अभी तक इसका काम अधूरा है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 28 Sep 2016 10:00 AM (IST)Updated: Wed, 28 Sep 2016 03:42 PM (IST)
शहीद-ए-आजम के गांव में न म्यूजियम बना, न स्टेडियम

नवांशहर (सनप्रीत सिंह मांगट)। 23 मार्च, 2009 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम व सीएम प्रकाश सिंह बादल ने शहीद-ए-आजम भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़कलां में उनके नाम पर म्यूजियम बनाने के लिए नींव पत्थर रखा था। तब म्यूजियम मात्र 22 महीने में बन कर तैयार होने का दावा किया गया था, लेकिन करीब साढ़े सात साल बीतने के बाद भी यह अधूरा है।

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म्यूजियम के लिए किए जाने वाले भूमि अधिग्रहण में ही दो वर्ष का समय लग गया। इसके बाद सरकार ने पुरातत्व विभाग के माध्यम से म्यूजियम का निर्माण मार्कफेड के नेतृत्व में शुरू करवाया। हर वर्ष 23 मार्च को होने वाले शहीदी दिवस से पहले सरकार व अधिकारी म्यूजियम का दौरा कर जल्द म्यूजियम निर्माण मुकम्मल होने का दावा करते रहे। इसी वर्ष जनवरी में भी पुरातत्व विभाग की प्रिंसिपल सेक्रेटरी अंजली भांबरा ने दौरा कर जून तक इंटीरियल डेकोरेशन का काम खत्म होने का दावा किया था, लेकिन अब हकीकत यह है कि निर्माण ठप पड़ा है। इंटीरियर डेकोरेशन कंपनी की अदायगी न होने कारण काम रुका है।

क्या होगा म्यूजियम में

संग्रहालय में शहीद भगत सिंह की जीवनगाथा को युवाओं और देश की भावी पीढ़ी से रूबरू कराने के लिए एक्जीबिट गैलरी में असेंबली व जेल का मॉडल तैयार किया जा रहा है। इसके साथ ही गैलरी भी बनाई जा रही है, जिसमें उनसे जुड़े महत्वपूर्ण दस्तावेज और उनकी जीवन यात्रा की दास्तां बयां करने वाले फोटो मौजूद रहेंगे। इसे बनाने वाली कंपनी के स्थानीय मैनेजर दीपक मौर्या के मुताबिक एक्जीबिट गैलरी में जो भी जेल व असेंबली के मॉडल बनाए जा रहे है, वह पूरी तरह कंप्यूटराइज्ड हैं।

जैसे ही दर्शक असेंबली में प्रवेश करेंगे, वहां उनको बम फेंकते हुए भगत सिंह (मॉडल) नजर आएंगे और उसी के साथ तेज आवाज होगी। संग्रहालय में शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की अस्थियां, उनके हाथ की लिखी चिट्ठियां, उनकी जन्मपत्री, उनके परिवार की तस्वीरें और 24 मार्च 1931 को प्रकाशित द ट्रिब्यून का वह अखबार, जिसमें उनकी शहादत की गाथा के साथ ही उन शहीदों का खून भी लगा है।

24 घंटे पेयजल की सुविधा का काम खटाई में

28 सितंबर, 2015 को केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने आदर्श ग्राम योजना के तहत गांव में 24 घंटे पेयजल की सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए नींव पत्थर रखा था, लेकिन नींव पत्थर के बाद इस 18.71 लाख के प्रोजेक्ट का काम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ सका। गांव के लोगों को आज भी दूसरे गांवों की तहत दिन में दो बार ही पेयजल की सुविधा दिन करीब छह घंटे के लिए उपलब्ध होती है।

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खेल स्टेडियम का प्रोजेक्ट भी हवा में

प्रदेश सरकार ने जिला स्तरीय स्टेडियम बनाने का दावा 2014 में किया था, जिसके बाद बीते वर्ष केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह ने भी इस स्टेडियम को आदर्श ग्राम योजना के तहत बनाने की घोषणा की थी। इसमें इनडोर व आउट डोर खेल के लिए हर तरह की सुविधा उपलब्ध होनी थी। यह स्टेडियम करीब छह एकड़ में बनना था, लेकिन घोषणा भी हवा-हवाई ही नजर आ रही है।

घर की दीवारों पर सीलन

छह महीने पहले विभाग की ओर से लाखों रुपये खर्च कर शहीद-ए-आजम भगत सिंह के पैतृक घर की करवाई गई रेनोवेशन के बाद लोगों को इस पैतृक घर की संभाल की उम्मीद जगी थी, लेकिन अभी चार महीने भी नहीं बीते कि घर की दीवारों पर सीलन चढ़ गई है।

केंद्र ने जारी किए दो करोड़: ठंडल

सभ्याचारक मामलों के प्रदेश मंत्री सोहन सिंह ठंडल ने बताया कि यह पूरा प्रोजेक्ट 17 करोड़ का है, जिसकी कुछ अदायगी रुकी हुई थी। केंद्र ने दो करोड़ की राशि जारी कर दी है।

फंड आने पर ही होगा निर्माण: डीसी

डिप्टी कमिश्नर विपुल उज्जवल ने कहा कि फंड की कमी के कारण म्यूजियम का निर्माण कार्य लटका हुआ है। फंड उपलब्ध करवाए जाने के बाद ही निर्माण कार्य शुरू होगा। दीवारों में सीलन के बारे में विभाग को अगवत करवा दिया जाएगा।

युवाओं के लिए प्रेरणा का केंद्र है गांव

बंगा उपमंडल में स्थित भगत सिंह के पैतृक गांव खटकड़कलां युवाओं के लिए प्रेरणा का केंद्र है। यह फगवाड़ा-रोपड़ नेशनल हाईवे पर स्थित उपमंडल बंगा से तीन किमी और नवांशहर से मात्र नौ किमी की दूरी पर स्थित है। यहां उनका आदमकद बुत लगाया गया है।

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