अध्यात्मिक विचारों का मकसद लोगों को मनोवैज्ञानिक व बौद्धिक विचारों से अवगत करवाकर उनकी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना
दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने गोमतीनाथ मंदिर नवांशहर में धार्मिक कार्यक्रम करवाया।
जेएनएन, नवांशहर : दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान ने गोमतीनाथ मंदिर नवांशहर में धार्मिक कार्यक्रम करवाया। इस दौरान स्वामी मनप्रीत ने कहा कि अध्यात्मिक विचारों का उद्देश्य लोगों को मनोवैज्ञानिक, बौद्धिक व अध्यात्मिक विचारों से रूबरू करवाकर उनकी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना है। आधुनिक युग, यंत्र उपकरणों से युक्त एक मशीनी युग है। आज यह मशीनीकरण व्यक्ति के जीवन मे तनाव व नकारात्मकता, जैसी कई समस्याओं का मूल आधार है। आज यदि जीव इन समस्याओं से निजात पाना चाहता है तो उसे अध्यात्मिकता चयन करना होगा। भक्ति का मार्ग ही ऐसा मार्ग है, जिस पर चल कर व्यक्ति विवेकपूर्ण अनुशासित जीवन यापन कर सकता है। स्वामी मनप्रीत ने अनुशासन एवं समर्पण के विषय को समझाते हुए बताया कि जब एक पूर्ण संत द्वारा शिष्य अपने भीतर ईश्वर का साक्षात्कार करता है और फिर सतगुरु पर पूर्ण विश्वास रखते हुए उनकी प्रत्येक आज्ञा एवं निर्देशों का पालन करते हुए भक्ति मार्ग पर चलता है, तो वह कभी मार्ग से विचलित नहीं होता। जिस प्रकार खोसली बांस द्वारा ही बांसुरी का निर्माण किया जाता है, ठीक उसी प्रकार एक शिष्य को भी स्वयं को अहंकार एवं अन्य सांसारिक दोषों से रहित होकर स्वयं को गुरु चरणों में समर्पित कर देना चाहिए, ताकि गुरु उसका आंतरिक निर्माण कर पाए। गुरु एवं शिष्य का संबंध आत्मा और मन के स्तर पर एक चिरस्थायी मिलन है। स्वामी ने बताया कि गुरुदेव जी एक ऐसे ही तत्ववेता गुरु है जो ब्रह्मज्ञान प्रदान कर अपने प्रत्येक शिष्य के घट में उस परमात्मा का साक्षात्कार करवा उन्हें भक्ति मार्ग पर अग्रसर कर रहे है।