लोकतंत्र को मजबूत से बनेगा राम राज्य
अयोध्या में श्री राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर उत्साह चरम पर है। समाज के हर तबके को अपनाने वाले भगवान श्री राम के नाम पर बनने वाले मंदिर पर अपनी श्रद्धा रखने वालों का अब यह दायित्व बनता है कि वे पूरे भारतीय समाज को जोड़ने और उनके बीच की कुरीतियों को खत्म करने पर भी खास तवज्जो दें।
जयदेव गोगा, नवांशहर : अयोध्या में श्री राम मंदिर के भूमि पूजन को लेकर उत्साह चरम पर है। समाज के हर तबके को अपनाने वाले भगवान श्री राम के नाम पर बनने वाले मंदिर पर अपनी श्रद्धा रखने वालों का अब यह दायित्व बनता है कि वे पूरे भारतीय समाज को जोड़ने और उनके बीच की कुरीतियों को खत्म करने पर भी खास तवज्जो दें।
संस्कृत के विद्वान सुरेश शास्त्री ने बताया कि राम मंदिर निर्माण के शुरुआती दौर से ही अयोध्या एक ऐसा केंद्र बनना चाहिए, जोकि भारती समाज का एक आदर्श रूप स्थापित करने में मददगार साबित हो। इस माध्यम से भारतीय संस्कृति के मूल तत्वों और उसकी महत्ता को स्थापित करने का काम भी हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। राम राज्य की कल्पना को धरती पर उतारने के लिए लोकतंत्र को और ज्यादा मजबूत करना होगा।
राम नाम की महिमा अपार
भाजपा जिला प्रधान पूनम माणिक का कहना है कि राम के नाम के इन दो अक्षरों की अपार महिमा बताई गई है। राम को आर्यवर्त के ज्ञात इतिहास का प्रथम पुरुष माना गया है। उन्होंने सबसे पहले नार्थ और साउथ को जोड़ा था। उन्होंने दीन दुखियों, दबे कुचलों और सदाचारियों की हिफाजत की थी और बेइंसाफी करने वाली ताकतों का दमन किया था।
देश की एकता के लिए करनी चाहिए कोशिशें
डा. अश्वनी धीर का कहना है कि श्री राम जन्मभूमि मंदिर के शिलान्यास के मौके पर इस बात पर भी सोच विचार होना चाहिए कि भारतीय समाज को किन वजहों से विदेशी हमलावरों के अत्याचार और उनकी गुलामी का सामना करना पड़ा। देश को एकता के सूत्र में पिरोये रखने की कोशिशें लगाकर जारी रहनी चाहिए।
धर्म संभाव की मिसाल बने श्रीराम मंदिर का निर्माण
समाजसेवी रतन कुमार जैन का कहना है कि राम मंदिर निर्माण का अवसर हमारे लिए सर्व धर्म संभाव की मिसाल बनना चाहिए। यह खुशी की बात है कि अन्य संप्रदायों और पंथों के धर्माचार्य और विशिष्ट जन भी पांच अगस्त के कार्यक्रम का हिस्सा बनेंगे।