बर्बादी की बारिश
सतीश शर्मा, काठगढ़ : पंजाब में मानसून तीन दिन से लगातार डेरा जमाकर बैठा हैं और अपना जौहर दिखा रहा है
सतीश शर्मा, काठगढ़ : पंजाब में मानसून तीन दिन से लगातार डेरा जमाकर बैठा हैं और अपना जौहर दिखा रहा है। मौसम में भले ही ठंडक पैदा हो गई है, परन्तु किसानों को जहां खुशी थी, वहीं अब घबराहट भी पैदा होने लगी है। जिन किसानों ने धान की फसल को पहले बीज दिया है, उनकी फसल लगभग किनारे पर है। दूसरी ओर जिन किसानों ने मजदूर न मिलने के कारण धान को बाद में बीजा है, वह थोड़ी राहत महसूस कर रहे हैं। फसल को लेकर दैनिक जागरण की टीम ने मूसलाधार बारिश में खेतों का दौरा किया। कई जगह पर तो खेत पानी से भर गए थे। फसल बर्बादी के कगार पर खड़ी थी तो कई जगह पर खेतों में फसल हरी-भरी दिखाई दे रही थी। इस संबंध में कई किसानों से बातचीत की तो उन्होंने अपनी राय व्यक्त की।
ज्यादा बारिश नहीं ठीक
परमजीत ¨सह कैंथ का कहना है कि बारिश तो फसल के लिए ठीक है, परन्तु ज्यादा नहीं। ऊपर वाला किसानों का इम्तिहान लेता है, पहले तो बारिश करता नहीं है, जब किसान मांगते हैं तो फिर सभी सीमाएं पार कर देता है।
हवा का चलना नुकसानदायक
जीवन पाल कपिला का कहना है कि बारिश का होना ठीक जरूर है, परन्तु साथ में हवा का चलना उतना ही नुकसानदेह है। फसल की जड़ पानी में नर्म हो जाती है और हवा से गिर जाती है। दानी मिट्टी में खराब हो जाता है। इसलिए जरूरत से ज्यादा बारिश फसलों को बर्बाद कर सकती है।
भारी बरसात बासमती के लिए हानिकारक
अवतार ¨सह बाजवा नंबरदार का कहना है कि बासमती के लिए यह बारिश ज्यादा ठीक नहीं है, क्योंकि वह वजनदार हो जाती है। ज्यादा पानी से जड़ नरम होने पर अपने आप गिर जाती है। किसान हर तरफ से परेशान है। बारिश हो तो भी, न हो तो भी। यह दोनों ही ¨चता का विषय है।
खेतों में ज्यादा पानी खतरा
सुरजीत भाटिया ने कहा कि दोआबा क्षेत्र में बासमती ज्यादा नहीं है। ये मालवा में ज्यादा बीजी जाती है। जिन किसानों के खेतों में पानी ज्यादा जमा हो गया है, वहां पर तो अब फसल की बर्बादी ही कही जा सकती है। तैयार फसल को तो पानी जरूरत के अनुसार ही मिलना चाहिए।