बेट क्षेत्र के 35 गांवों में नहीं पशुपालन औषधायल
काठगढ़ लोकसभा चुनाव फिर आ गए हैं और बेट क्षेत्र के 35 गांवों में अब भी कोई पशुपालन औषधायल नहीं है। इलाके के लोगों में इसको लेकर नाराजगी है।
सतीश शर्मा, काठगढ़ : लोकसभा चुनाव फिर आ गए हैं और बेट क्षेत्र के 35 गांवों में अब भी कोई पशुपालन औषधायल नहीं है। इलाके के लोगों में इसको लेकर नाराजगी है। लोगों का कहना है कि चुनाव के अवसर पर राजनीतिक पार्टियां लोगों से वादे करके चले जाती हैं, लेकिन लोगों से किया गया कोई भी वायदा पूरा नहीं किया जाता। मतलब निकल जाने पर कोई भी इस क्षेत्र की जनता की बात नहीं पूछता। सतलुज दोआबा लिक नहर पार का क्षेत्र चाहे इस मंड का क्षेत्र कहें अथवा बेट का, बात एक ही है। इस क्षेत्र का लगभग सफर भी 35 किलोमीटर का ही है और क्षेत्र में गांव भी 35 के आसपास ही हैं। यह सारा क्षेत्र किसानों का ही है। उनका मवेशी अगर बीमार हो जाए तो आसपास उपचार का कोई साधन नहीं है। रैलमाजरा के सरपंच दौलत राम ने बताया कि इस क्षेत्र के लोगों की इस समस्या को कोई राजनेता हल नहीं कर रहा। यदि रात के वक्त कोई पशु बीमार हो जाए तो रैलमाजरा, कौनसा, काठगढ़ तथा बलाचौर आदि से डॉक्टरों को बुलाना पड़ता है। सुरापुर के पूर्व सरपंच काबुल चौधरी ने बताया कि पिछले समय में पशुओं की मुंह खोर बीमारी ने कई पशुओं की जान ले ली। यहां पशुपालन डिस्पेंसरी नहीं होने के कारण किसानों का लाखों रुपए का नुकसान हो गया । सरवन कुमार मीलू ने बताया कि यह समस्या है 30 साल से बनी हुई है, लेकिन इसका कोई हल नहीं निकल रहा। कांग्रेस सरकार को सत्ता में आएं हुए दो साल से अधिक का समय हो गया है, लेकिन हुआ कुछ नहीं।
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