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बिना मंजूरी बोरवेल खोदने और गहरे करने पर रोक

शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिना मंजूरी बोरवेल और ट्यूबवेल की खोदाई और गहरा करने पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 31 Dec 2020 03:39 PM (IST)Updated: Thu, 31 Dec 2020 03:39 PM (IST)
बिना मंजूरी बोरवेल खोदने और गहरे करने पर रोक
बिना मंजूरी बोरवेल खोदने और गहरे करने पर रोक

जागरण संवाददाता, नवांशहर : शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बिना मंजूरी बोरवेल और ट्यूबवेल की खोदाई और गहरा करने पर रोक लगाने के आदेश जारी किए हैं। जिला मजिस्ट्रेट डा. शेना अग्रवाल ने जल स्त्रोत मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से जारी दिशा -निर्देशों के तहत यह आदेश जारी किए हैं। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में कच्ची छोटे कुएं और ट्यूबवेल खोदने के कारण लोगों और बच्चों के इनमें गिरने का खतरा रहता है। इस कारण अब बिना प्रशासन की मंजूरी के बोरवेल और ट्यूबवेल खोदने व गहरा करने पर रोक लगाई गई है। जिला मजिस्ट्रेट ने फौजदारी जाब्ता संहिता 1973 (1974 का एक्ट -2) की धारा 144 के अंतर्गत जारी किए आदेश में स्पष्ट किया है कि जमीन के मालिक को बोरवेल खोदने से पहले संबंधित जिला कलेक्टर, ग्राम पंचायत, नगर कौंसिल, जन सेहत विभाग, भूमि रक्षा विभाग (ग्राउंड वाटर) को 15 दिन पहले सूचित करना होगा। बोरवेल करने वाली ड्रिलिग एजेंसी के नाम और रजिस्ट्रेशन नंबर और जमीन मालिक का पूरा नाम और पता, संबंधी बोर करने वाली जगह नजदीक होना जरूरी है। बोरवेल के आसपास कंटीली तार और इसको स्टील प्लेट के ढक्कन के साथ बोल्ट लगाकर बंद करना जरूरी होगा। बोरवेल के आस -आसपास सीमेंट /कंक्रीट की प्लेटफार्म जो जमीनी स्तर से 0.30 मीटर निचला और 0.30 मीटर ऊंचा हो, का निर्माण जरूरी होगी।

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कुआं /बोरवैल खोदने या मरम्मत के बाद यदि खाली जगह कोई हो तो उसे मिट्टी के साथ भरा जाए और काम पूरा होने के बाद जमीनी स्तर को पहले जैसा किया जाए। कुआं या बोरवेल को किसी भी हालत में खाली न छोड़ा जाए। कोई भी व्यक्ति कुआं /बोरवेल खोदने या मरम्मत करने के लिए जल सप्लाई और सेनिटेशन विभाग की लिखती स्वीकृति लेनी होगी और उनकी देख-रेख के बिना काम नहीं करवाएगा।

ग्रामीण इलाको में सरपंच और कृषि विभाग के अधिकारी और शहरी इलाको में जन सेहत विभाग, भूमि रखा (ग्राउंड वाटर), नगर कौंसिल के जूनियर इंजीनियर और कार्यकारी इंजीनियर की तरफ से अपने -अपने अधिकार क्षेत्र की इस संबंधी रिपोर्ट भी तैयार करके एडीसी (विकास) को हर महीना भेजी जाएगी। यह आदेश 27 फरवरी 2021 तक लागू रहेंगे।


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