आसानी से नहीं मिलेगा वजीफा, पहले भटकें और फिर जेबें करें ढीली
एससी व ओबीसी विद्यार्थियों की आर्थिक सहायता के लिए पंजाब सरकार वजीफे देती है लेकिन इन वजीफों को पाने के लिए विद्यार्थियों और अभिभावकों को परेशानी उठानी पड़ रही है।
सुशील पांडे, नवांशहर : एससी व ओबीसी विद्यार्थियों की आर्थिक सहायता के लिए पंजाब सरकार वजीफे देती है लेकिन इन वजीफों को पाने के लिए विद्यार्थियों और अभिभावकों को परेशानी उठानी पड़ रही है। सर्वर डाउन के कारण बेबसाइट दिन में मात्र दो घंटे ही चलती है जिसका फायदा उठाने से कई विद्यार्थी चूक जाते हैं। वहीं एक वजीफा 440 रुपये का पड़ता है। कंप्यूटर सेंटर के मालिक उमेश ने बताया कि उनके पास रोजाना सैकड़ों विद्यार्थी ऑनलाइन वजीफा भरवाने के लिए आते हैं लेकिन सर्वर डाउन के चलते कई दिनों के इंतजार के बाद उनका नंबर लग रहा है। बलाचौर की प्रभजोत ने बताया कि वह नौ दिनों से वजीफा को ऑनलाइन भरने के लिए कंप्यूटर सेंटरों के चक्कर काट रही है लेकिन हमेशा सर्वर डाउन ही मिलता है। जैसे तैसे वजीफे का आवेदन हो भी जाए तो भी सरकारी वजीफा मिलेगा या नही इसका डर सताता रहता है। विभाग ने अब फिजिकल वेरीफिकेशन भी शुरू की गई है जिसके पक्के कागजात मांगे जा रहे हैं और वेरिफिकेशन के लिए नोटरी से तस्दीक करवाना भी अनिवार्य कर दिया गया है। इस कागजी कार्रवाई पर गरीब परिवार के हजारों छात्रों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। ये आता है खर्च
दस डॉक्यूमेंट की दो-दो कापियों की कीमत-40 रुपये, फोटो-50 रुपये, सर्टिफिकेट की स्कैनिग-100 रुपये, ऑनलाइन अप्लाई करने का खर्च-200 रुपये, नोटरी तस्दीक करने का खर्च-50 रुपये ये चाहिए दस्तावेज
दस्तावेजों के सेट की दो दो कापियां, बैंक डिटेल की कॉपी, दसवीं के सर्टिफिकेट की कॉपी, आधार कार्ड (यदि अपना नहीं बना तो माता-पिता दोनों का कार्ड) फोटो, आमदनी का स्वयं घोषणा पत्र, रिहायशी प्रमाण पत्र, स्कूल की फीस अदा करने का फार्म जो कि तस्दीक किया गया हो।
भलाई विभाग के फरमान से अभिभावक परेशान
फैसले से छात्र व अभिभावक दुविधा में हैं। गजटेड अफसर की मंजूरी के बाद भी छात्रों के माता-पिता की ओर से दिए जाने वाले आमदनी घोषणा पत्र के बाद प्रिसिपल अप्रूव करता है। अब प्रिसिपल की अप्रूवल पर भी नोटरी से तस्दीक कराने का फरमान जारी किया गया है।
दिहाड़ी छोड़ कर भटक रहे अभिभावक
अभिभावक बच्चों के सुनहरे भविष्य के लिए अपनी दिहाड़ी छोड़ कर कंप्यूटर सेंटरों के चक्कर काटने के लिए मजबूर हो रहे हैं। दिहाड़ी के साथ दूर-दराज क्षेत्रों से आने वाले वाहनों और बसों का किराया खर्च करके शहर में आ रहे हैं। ऐसे में अभिभावकों को आर्थिक नुकसान हो रहा है।