बरसात से पहले डेंगू से निपटने की तैयारी
पंजाब में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच डेंगू भी दस्तक दे सकता है। मानसून के साथ ही डेंगू के मामले बढ़ने की आशंका हर साल जताई जाती है। अभी तक जिले में कोई डेंगू का केस तो नहीं आया है पर स्वास्थय विभाग इंतजाम अभी से कर रहा है। इसके लिए विभाग सोशल मीडिया फेसबुक वाट्सएप आदि माध्यमों का सहारा ले रहा है वहीं स्वास्थ्य कर्मचारियों की ओर से घर घर जाकर लारवा चेक किया जा रहा है।
जागरण संवाददाता, नवांशहर : पंजाब में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच डेंगू भी दस्तक दे सकता है। मानसून के साथ ही डेंगू के मामले बढ़ने की आशंका हर साल जताई जाती है। अभी तक जिले में कोई डेंगू का केस तो नहीं आया है पर स्वास्थय विभाग इंतजाम अभी से कर रहा है। इसके लिए विभाग सोशल मीडिया, फेसबुक, वाट्सएप आदि माध्यमों का सहारा ले रहा है वहीं स्वास्थ्य कर्मचारियों की ओर से घर घर जाकर लारवा चेक किया जा रहा है।
जिले में हर साल एक हजार के करीब लोग डेंगू का टैस्ट करवाते हैं और औसत 400 से लेकर 700 तक लोग डेंगू का शिकार हो जाते हैं। इनमें से औसत चार लोगों की मौत हो जाती है। पिछले साल 888 लोगों ने डेंगू के टेस्ट करवाए थे। पिछले साल डेंगु के कारण जिले में तीन मौतें हुई थी जबकि जिले में डेंगू के 312 मरीज थे। वर्ष 2018 में जिले के 625 लोगों को डेंगू हुआ था और दो लोगों की डेंगू के कारण मौत हो गई थी। चिकनगुनिया का असर रहता है तीन माह तक
एपीडोमोलोजिस्ट डा.जगदीप ने बताया कि चिकनगुनिया का असर शरीर में 3 माह तक रहता है। गंभीर स्थिति में यह 6 माह तक रह सकती है। तेज बुखार, बदन, सर एवं जोड़ों में दर्द, जी मचलाना एवं उल्टी होना, आंख के पीछे दर्द, त्वचा पर लाल धब्बे व चकते का निशान, नाक, मसूढ़ों से रक्त स्त्राव, काला मल का आना डेंगू एवं चिकनगुनिया के लक्षण हो सकता है। ऐसे में तेज बुखार के उपचार हेतु एस्प्रिन अथवा ब्रुफेन की गोलियों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसके लिए पैरासिटामोल सुरक्षित दवा है।
डेंगु से निपटने के लिए पूरे हैं इंतजाम : सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ.राजिदर प्रसाद भाटिया ने कहा कि सरकारी अस्पताल में आइसोलेटेड वार्ड बनाया गया है, पर जिला स्तरीय सरकारी अस्पताल में ओपीडी बंद होने के कारण डेंगू का टेस्ट करवाने के लिए मरीज नहीं आ रहे है। डेंगू के मरीज जुलाई माह के बाद आने शुरू होते हैं पर एहतियात के तौर पर तैयारियां की जा चुकी हैं।