महिलाओं से छेड़छाड़ के आरोपितों को मिले सख्त सजा
बिचयों पर होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए सरकारों ने भले ही कई कानून बनाए हैं लेकिन इसके बावजूद ऐसी वारदातें कम नहीं हुई हैं।
जेएनएन, नवांशहर : बच्चियों पर होने वाले अपराधों की रोकथाम के लिए सरकारों ने भले ही कई कानून बनाए हैं, लेकिन इसके बावजूद ऐसी वारदातें कम नहीं हुई हैं। इस समस्या पर शहर के लोगों ने चिंता जताई है। उनका कहना है कि इस तरह की वारदातों में शामिल आरोपितों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए तभी समस्या पर लगाम लगेगी। सुखराज सिंह का कहना है कि छोटी बच्चियों, युवतियों और महिलाओं के साथ शारीरिक शोषण, उनसे जबरन छेड़छाड़ की घटनाएं आम हैं। ऐसी वारदातों को अंजाम देने वाले दरिंदों को कानून का कोई डर नहीं है। इन पर नकेल कसने के लिए कानून सख्ती से लागू होना चाहिए, ताकि कोई भी आरोपित बच न पाए। इससे समाज में रह रहे बुरी नीयत रखने वाले अन्य लोगों को भी डर होगा। एडवोकेट एसएस झिक्का ने कहा कि महिलाओं से जबरन छेड़छाड़ की घटना निदनीय हैं। हमारे सामने यह एक बड़ी समस्या है। इसके समाधान के लिए समाज में अच्छ मानसिक सोच पैदा करने की जरूरत है। समाज सेवी संगठनों को इसके लिए आगे आकर अपराध करने की सोच रखने वालों को समझाना चाहिए। सजा ऐसी मिलनी चाहिए जिससे दूसरी बार किसी महिला से बदसलूकी करने से पहले आरोपित सोचें। राजेश गौतम ने कहा कि ग्राम पंचायतों को भी ऐसी वारदातों पर लगाम लगाने के लिए अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। पंच तथा सरपंच बिना किसी डर और दबाव के आगे आएं और बच्चियों व महिलाओं की मदद करें। आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई करने को अपना वे कर्तव्य समझें। छह महीनों में ऐसी घटनाओं के आरोपित को सजा दी जानी चाहिए। एडवोकेट वरिदर सिंह पाहवा ने कहा कि महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा जरूरी है। प्रतिदिन ऐसी घटनाएं सुनकर बहुत दुख होता है। भले सख्त कानून बना गए, लेकिन फिर भी महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। अपराधियों को सख्त सजा नहीं मिलेगी तब तक महिलाओं के साथ अपराध कम नहीं हो सकते। इस तरह की घटनाएं गंभीर चिता का विषय हैं।