बेसहारा पशुओं की संभाल में प्रशासन पूरी तरह फेल
शहर के बाजारों और सड़कों पर एक बार फिर बेसहारा पशुओं का आतंक दिखने लगा है। इससे साफ है कि प्रशासन इनकी संभाल में पूरी तरह से फेल हो चुका है।
वासदेव परदेसी, नवांशहर शहर के बाजारों और सड़कों पर एक बार फिर बेसहारा पशुओं का आतंक दिखने लगा है। इससे साफ है कि प्रशासन इनकी संभाल में पूरी तरह से फेल हो चुका है। तशहर का चाहे मुख्य बाजार हो या रेलवे स्टेशन या कालेजों को जाने वाली सड़कें, हर कहीं हमेशा सड़क के बीच आवारा पशु बैठे मिल जाते हैं। सब्जी मंडी और अनाज मंडी में तो इनकी भीड़ लगी रहती है। एकाएक इनकी संख्या में फिर से बढ़ोतरी होने लगी है। इसके मुख्य तौर पर दो कारण हैं। पहला मुख्य कारण यह है कि जब तक गाय दूध देती है, लोग उसे घर में खूंटे से बांध कर रखते है और जैसे ही वह दूध देना बंद करती है तो लोग गायों को लावारिस छोड़ देते हैं। इसके कारण बेसहारा गाएं अपना पेट भरने के लिए शहर के विभिन्न हिस्सों में चक्कर काटती रहती है। दूसरा आज के समय में ट्रैक्टर से खेतों में काम होता है और बैलों का कोई काम नहीं रहा है। इस वजह से अधिकांश पशुपालक गायों के बछड़ों को साल-छह महीने के बाद खुला छोड़ देते हैं। इस समस्या को रोकना समय की मुख्य जरूरत है। जिले के लोगों ने प्रशासन से इन बेसहारा पशुओं की समस्या का समाधान करने की मांग की है।
रात भर जागकर करनी पड़ती है फसल की देखभाल : नरेश
नरेश कैंथ का कहना है कि पंजाब में आवारा पशुओं की समस्या बढ़ती जा रही है और यह पशु फसलों को बहुत नुक्सान पहुंचाते हैं। इस वजह से किसानों को रात भर जागकर अपनी फसल की रक्षा करनी पड़ती है। इन पशुओं के कारण बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं के घायल होने का डर हमेशा बना रहता है।
युवक पर सांड कर चुका है हमला : मुकेश कुमार
मुकेश कुमार का कहना है कि शहर में एक बेसहारा सांड ने पैदल जाते नौजवान को पीछे से अपनी चपेट में ले लिया। आसपास के दुकानदारों ने सांड के मुंह व आंखों पर पानी डालकर उस नौजवान की जान बचाई, लेकिन फिर भी उक्त नौजवान को काफी चोटें आईं। बेसहारा पशुओं विशेषकर सांडों तथा गायों के कारण मानवीय जानों को काफी नुकसान पंहुच रहा है।
सैस लगाकर सरकार ने भरा अपना खजाना : मनोज कुमार
मनोज कुमार का कहना है कि गायों के नाम पर अलग गौ सैस लगाकर सरकार ने अपना खजाना तो भर लिया है, लेकिन गायों की संभाल के लिए एक पैसा भी खर्च नहीं किया है। गायों तथा सांडों के बड़े झुंड, बाजारों, गलियों, मुख्य सड़कों तथा अन्य सार्वजनिक स्थलों पर सरेआम टहलते हुए राहगीरों के लिए खतरा बने हुए हैं।
समस्या का हल करने के लिए प्रशासन नहीं है गंभीर : वरिदर
वरिदर कुमार का कहना है कि शहरों व कस्बों के लोग ऐसा कर रहे हैं तथा आवारा पशु उनकी फसलों की बर्बादी के लिए मुख्य तौर पर जिम्मेदार हैं। वह रातों को आवारा पशुओं से फसल को बचाने के लिए पहरा देते हैं, लेकिन प्रशासन इस समस्या को हल करने के लिए बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। लोगों ने सरकार से मांग की कि इस समस्या के हल के लिए सख्त कदम उठाए जाऐ।