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टैक्सों का बोझ हो कम, शिक्षा पर खर्च हो ज्यादा

केंद्र सरकार द्वारा पांच जुलाई को बजट पेश किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Jul 2019 11:15 PM (IST)Updated: Wed, 03 Jul 2019 11:15 PM (IST)
टैक्सों का बोझ हो कम, शिक्षा पर खर्च हो ज्यादा
टैक्सों का बोझ हो कम, शिक्षा पर खर्च हो ज्यादा

चमन लाल, बंगा : केंद्र सरकार द्वारा पांच जुलाई को बजट पेश किया जाएगा। इसे लेकर समाज के लोग आस लगा रहे हैं कि बजट जनता पर बोझ डालने वाला नहीं होना चाहिए। सभी लोग टैक्सों के बोझ को कम करने की मांग कर रहे हैं। इसके साथ महंगाई व शिक्षा व्यवस्था पर खर्च को बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

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टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी करनी चाहिए : ओंकार

डॉक्टर ओंकार सिंह कहते हैं सरकार को टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी करनी चाहिए। हर साल वेतन बढ़ जाता है, लेकिन टैक्स स्लैब में बढ़ोतरी नहीं होती है। सरकार को लोगों पर कम से कम टैक्स का बोझ डालना चाहिए। जनता पहले ही विभिन्न प्रकार के टैक्स देने पड़ते हैं।

शिक्षा व मेडिकल क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान की जरूरत :दविंदर

डॉ. दविदर कौर चीमा कहती हैं कि सरकार को शिक्षा व मेडिकल के क्षेत्र पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए। सरकार को ऐसे उपाय करने चाहिए कि महंगाई काबू में आए। शिक्षा सस्ती व आम लोगों के पहुंच में हो। महंगाई पेट्रोलियम की कीमतों से जुड़ी है। यदि इस पर टैक्स कम कर दिया जाए या जीएसटी के दायरे में लाया जाए तो महंगाई पर अंकुश लग सकेगा।

होम लोन पर टैक्स छूट दो लाख से मिले : कश्मीर

डॉक्टर कश्मीर चंद कहते है कि वित्त मंत्री महंगाई से तो निजात दिलाएंगे ही साथ ही कुछ ऐसे उपाय भी करेंगे, जिससे लोगों की जेब में कुछ पैसे भी आएं। होम लोन के ब्याज पर टैक्स छूट दो लाख रुपये से मिलनी चाहिए। पहले घर के लिए कर्ज के ब्याज पर छूट मिलनी चाहिए।

टैक्स न बढ़े और टैक्स में राहत मिले : केएस राय

डॉक्टर केएस राय कहते हैं कि कोई टैक्स न बढ़े और कुछ टैक्स में राहत मिले। इन से आम जनता परेशान है। इस बजट में देश के विकास के लिए कुछ ऐसी योजनाएं आएं जिनसे नौकरियों के मौके बढें या फिर इंफ्रास्ट्रक्टर को बूस्ट देने के लिए ऐलान हों। महिलाएं को पुरुषों से ज्यादा टैक्स छूट मिलनी चाहिए।

इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने की जरूरत : बख्शीश

डॉ. बख्शीश सिंह कहते हैं कि इनकम टैक्स छूट की सीमा बढ़ाने की जरूरत है और टैक्स स्लैब में बदलाव करना चाहिए। 30 फीसदी की टैक्स दर का स्लैब 25-30 लाख रुपये तक होनी चाहिए। इंश्योरेंस को 80 सी से अलग कर देना चाहिए और उसमें लाइफ इंश्योरेंस पॉलिसी के प्रीमियम पर अलग से टैक्स छूट मिलनी चाहिए। पीपीएफ को 80 सी से अलग कर देना चाहिए।


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