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कालेज में नेता जी पर एक दिवसीय वेबीनार करवाया

नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक देश भक्त विचारक के रूप में विषय पर वेबिनार करवाया गया।

By JagranEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 06:13 PM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 09:55 PM (IST)
कालेज में नेता जी पर एक दिवसीय वेबीनार करवाया
कालेज में नेता जी पर एक दिवसीय वेबीनार करवाया

संवाद सहयोगी, बलाचौर :

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नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक देश भक्त विचारक के रूप में विषय पर वेबिनार करवाया गया। इसमें मुख्य संरक्षक के रूप में भूमिका निभाई पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के कुलपति प्रोफेसर राज कुमार ने तथा इस वेबिनार के मुख्य वक्ता के रूप में प्रमुख भूमिका निभाई हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के कुलपति प्रोफेसर कुलदीप चंद अग्निहोत्री ने कहा कि बलाचौर और इसके आसपास का इलाका गुज्जर समुदाय से संबंधित है। उनका सौभाग्य है कि आज दूसरी बार इस कालेज के वेबिनार में बोलने का अवसर प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि जैसे कि आज का विषय है 'नेताजी सुभाष चंद्र बोस' एक देशभक्त विचारक के रूप में बहुत ही उत्तम विषय है। क्योंकि नेता जी सुभाष चंद्र बोस, मात्र एक देश भक्त नेता ही नहीं थे, अभी तो सच्चाई कर्तव्य और बलिदान की जीती जागती मशाल भी थे। नेता जी का मूल्यांकन करने के लिए हमें उनकी पृष्ठभूमि पर जाना जरूरी है। भारतीय संस्कृति एवं इतिहास पर अगर हम नजर डालते हैं तो तीन महान विद्वानों के नाम उभरकर सामने आते हैं, बाबा साहिब आबेडकर, डा. केशव राम हेडगेवार एवं नेता जी सुभाष चंद्र बोस, बाबा साहिब आंबेडकर ने पहली बार इस बात का समर्थन किया कि आर्य कहीं बाहर से नहीं आए थे, बल्कि वह भारत के ही थे। नेता जी ने अंग्रेजों की गुलामी से निजात दिलाने के लिए आजाद हिद फौज की स्थापना कर भारत की आजादी का मार्ग प्रशस्त किया। परन्तु बड़े खेद का विषय है कि आज तक उनके योगदान को भारतीय राजनीतिक एवं इतिहास में स्थान नहीं दिला पाए। जैसे कि इतिहास इस चीज का साक्षी है कि 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' यह नारा सुभाष चंद्र बोस द्वारा दिया गया था। उनका झुकाव पहले कांग्रेस की और था, जब कांग्रेस की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं हुए, उन्हें लगा कि इस मार्ग को अपनाकर में कभी भी देश को आजाद नहीं कर पाऊंगा। उन्होंने आजाद हिद फौज की स्थापना की और अंग्रेजों से सीधी टक्कर लेते हुए भारत का कुछ हिस्सा आजाद करवाया और अंतरिम सरकार की स्थापना की और स्वयं उसके सर्वेसर्वा बने। परन्तु जिसे इतिहास में कोई विशेष स्थान नहीं दिया गया। उन्होंने अपने आत्मबल से विदेशों में जाकर, विदेशी राष्ट्राध्यक्षओं के साथ मिलते भी भारत की स्वतंत्रता के मार्ग को प्रशस्त कर आजाद हिद फौज की स्थापना करते हुए भारत की स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त किया। उनकी 125वीं जयंती के शुभ अवसर पर जो कार्यों का मूल्यांकन करते हुए उनका सही स्थान दिलाने की आवश्यकता है। यह हम सब की जिम्मेवारी भी है। इस अवसर पर कालेज के सहायक प्रोफेसर डा. हरि कृष्ण यूथ कोआर्डीनेटर ने मंच का बहुत ही खूबसूरत ढंग से संचालन किया।

इस अवसर पर उन्होंने कहा कि सुभाष चंद्र बोस के विराट व्यक्तित्व को एवं उनके आजादी के योगदान को किसी रूप में भी नहीं भुलाया जा सकता। उन्होंने बताया कि 1956 में क्लीमेंटर एटली पूर्व ब्रिटिश प्रधानमंत्री जब कोलकाता दौरे पर आए तो एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हमने नेता जी सुभाष चंद्र बोस की वजह से भारत को आजाद किया। वेबिनार की सचिव प्रोफेसर रूबी ने भी इस अवसर पर अपने बहुत ही सुंदर विचार रखे। इस वेबिनार में कालेज के सभी विद्यार्थियों एवं प्रोफेसरों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।


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