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नशा मुक्ति मुहिम में अध्यापकों का अहम रोल

नवांशहर जिला पुलिस ने बेशक नशे के खिलाफ मुहिम तेज करने का अभियान शुरू किया है लेकिन नशा तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही हैं। बीते दिनों जिले में एक नशा तस्कर से 250 ग्राम हेरोइन बरामद की गई और एक अन्य घटना में 160 नशीले कैप्सूल व गोलियां बरामद हुई हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 08 May 2019 05:53 PM (IST)Updated: Wed, 08 May 2019 05:53 PM (IST)
नशा मुक्ति मुहिम में अध्यापकों का अहम रोल
नशा मुक्ति मुहिम में अध्यापकों का अहम रोल

जयदेव गोगा, नवांशहर : जिला पुलिस ने बेशक नशे के खिलाफ मुहिम तेज करने का अभियान शुरू किया है, लेकिन नशा तस्करी थमने का नाम नहीं ले रही हैं। बीते दिनों जिले में एक नशा तस्कर से 250 ग्राम हेरोइन बरामद की गई और एक अन्य घटना में 160 नशीले कैप्सूल व गोलियां बरामद हुई हैं। इसके अलावा प्रतिदिन मादक पदार्थ के मामले सामने आते हैं। कुछ लोगों से बात की गई तो उन्होंने समस्या पर लगाम लगाने की मांग की है। कहा, नशा मुक्ति मुहिम में अध्यापकों की बहुत बड़ी भूमिका है। किशोर अपने साथियों से नशाखोरी की आदतें सीखते हैं, इसलिए अध्यापकों द्वारा नशाखोरी के दुष्परिणामों के बारे में जागरूकता बढ़ाने की और ज्यादा जरूरत है। नशा तस्करों के खिलाफ शिकंजा कसना पुलिस की भी जिम्मेदारी है। लोगों ने यह भी कहा कि नशाखोरी से देश भी प्रभावित होता है। आजकल नशेड़ी नशीले पदार्थो के सेवन की जगह रासायनिक तत्वों के सेवन को तरजीह दे रहे हैं। नशीले कैप्सूल और नशीली गोलियां सेहत के लिए बहुत ही ज्यादा नुकसानदायक साबित हो रही हैं। अधिकतर स्वयं सेवी संस्थाएं आगे आएं : रतन

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समाज सेवी रतन कुमार जैन ने बताया कि नशा तस्करी पर रोक लगाने और लोगों को नशा खोरी से मुक्ति दिलाने के लिए शासन प्रशासन की कोशिशों के चलते जिले की अधिकतर स्वयं सेवी संस्थाओं को भी आगे आना चाहिए। हालांकि कुछ संस्थाएं हैं, जो सरकार और प्रशासन को नशा मुक्ति मुहिम में सहयोग देती हैं। इसके साथ ही वे नशे के नुकसानदायक प्रभावों के संबंध में लोगों को जागरूक करने का भी काम कर रही हैं, लेकिन इस काम के लिए ये संस्थाएं नाकाफी है। लोकल प्रशासन की मदद की जरूरत : प्रिंसिपल

प्रिसिपल ईश्वर चंद्र ने बताया कि नशाखोरी से निपटने के लिए लोकल प्रशासन की मदद की अहम जरूरत होती है। स्थानीय नेता हो या गांव का मुखिया अथवा नगर कौंसिल का पार्षद या आम आदमी। ये लोग ज्यादातर जमीनी हकीकत से वाकिफ होते हैं। अगर ये लोग अपनी जिम्मेवारी को सही ढंग से निभाएं तो ड्रग्स के कारोबार और नशीली दवाओं पर नकेल कसी जा सकती है। समाज सेवी संस्थाओं का अहम रोल : वरिदर

वरिदर सरीन का मानना है कि नशा तस्करों का जिले के विभिन्न हिस्सों में नशे का कारोबार दुर्भाग्यपूर्ण है। शासन और प्रशासन को नशा तस्करों पर मजबूती से नकेल कसने की जरूरत है। नशा खोरी से ग्रस्त दिशाहीन लोगों को सही मार्गदर्शन और उचित सहयोग देने की आवश्यकता है। यह काम समाज सेवी संस्थाओं के माध्यम से ठीक तरीके से किया जा सकता है।

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