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घायल के मददगार से जवाब का दबाव न बनाए पुलिस

नवांशहर अकसर देखा जाता है कि सड़क पर कोई दुर्घटना हो जाए तो राह चलते लोग घायल के पास जाने से घबराते हैं। आदमी तड़प रहा होता है तब भी लोग पुलिस के आने का इंतजार करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 18 Apr 2019 12:30 AM (IST)Updated: Thu, 18 Apr 2019 12:30 AM (IST)
घायल के मददगार से जवाब का दबाव न बनाए पुलिस
घायल के मददगार से जवाब का दबाव न बनाए पुलिस

वासदेव परदेसी, नवांशहर : अकसर देखा जाता है कि सड़क पर कोई दुर्घटना हो जाए तो राह चलते लोग घायल के पास जाने से घबराते हैं। आदमी तड़प रहा होता है तब भी लोग पुलिस के आने का इंतजार करते हैं। वे उसे अस्पताल तक पहुंचाने से भी घबराते हैं, क्योंकि उन्हें यह चिंता रहती है कि बाद में उन्हें थाने के चक्कर लगाने पड़ेंगे और घायल की मृत्यु हो जाए तो मामला और बढ़ जाएगा। हालांकि कानून के मुताबिक पूछताछ के लिए पुलिस हताहत की मदद करने वाले पर दबाव नहीं डाल सकती है। जिला प्रशासन द्वारा भी आम नागरिकों को जागरूक किया जा रहा है कि वह बिना किसी डर के घायलों की मदद करें।

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पुलिस नहीं बना सकती दबाव : कुलजीत

कुलजीत सिंह लक्की का कहना है कि यदि कोई व्यक्ति दुर्घटना में घायल हुआ है और उसे इलाज के लिए कोई अस्पताल पहुंचाता है या इसकी सूचना पुलिस कंट्रोल रूम या थाने को देता है तो उस व्यक्ति का नाम, फोन नंबर, जाति या पूछताछ के लिए पुलिस दबाव नहीं डाल सकती है। इस मामले में जिला प्रशासन अब गंभीर हो गया है और प्रदेश शासन व हाईकोर्ट के निर्देश का पालन पुलिस ने करना शुरू कर दिया है।

मन में नहीं होने चाहिए पूछताछ का डर : भारटा

बहादर सिंह भारटा का कहना है, आम तौर पर देखने मिलता है कि यदि कोई व्यक्ति दुर्घटना में घायल हो जाता है तो आने-जाने वाले लोगों के मन में ऐसी आशंका बनी रहती है कि अगर घायल को अस्पताल पहुंचाया या थाने में इस बारे में दी तो पुलिस उससे पूछताछ करेगी। हालांकि अब किसी भी गुड सेमेरिटन (घायल को अस्पताल पहुंचाने वाला व्यक्ति) के मन में ऐसा कोई डर नहीं होना चाहिए।

केंद्र से भी आदेश को मिली चुकी है हरी झंडी : खालसा

परम सिंह खालसा ने घायलों की मदद करने वालों से किसी प्रकार की पूछताछ करने पर रोक लगाने के साथ उन्हें सम्मान देने की बात कही है। उनका कहना है कि इससे लोग घायलों की खुल कर मदद करने के लिए लगातार आगे आएंगे। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय नई दिल्ली से भी इस आदेश को हरी झंडी मिल चुकी है। सरकार के राजपत्र में भी इस आदेश की अधिसूचना प्रकाशित की गई है।

एक बार तर्क संगत पूछताछ की जा सकती है : एडवोकेट

ऐडवोकेट अमनदीप कौशल का कहना है कि यदि कोई गुड सेमेरिटन थाने जाने का इच्छुक है तो ऐसे में जांचकर्ता अधिकारी एक ही बार में तर्क संगत और समयबद्ध रूप से उससे पूछताछ करेगा। अगर गुड सेमेरिटन खुद को प्रत्यक्षदर्शी घोषित करता है, तो उसे आपराधिक प्रकिया संहिता 1973 (1974 की 02) की धारा 284 के अनुसार अपना साक्ष्य शपथ पत्र पर दिए जाने की अनुमति दी जाएगी। पुलिस अधिकारी एक ही बार पूरा बयान रिकॉर्ड करेगा, ताकि वह बिना किसी हिचक व डर के घायल को सही समय पर सुविधा उपलब्ध कराई जा सके।


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