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कल से चलेगी भरोसे पर मिठास की चक्की

राजीव पाठक, नवांशहर : दोआबा क्षेत्र की प्रमुख शुगर कंपनियों में शुमार नवांशहर को-ऑप्रेटिव शुगर मिल म

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 11:23 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 11:23 PM (IST)
कल से चलेगी भरोसे पर मिठास की चक्की
कल से चलेगी भरोसे पर मिठास की चक्की

राजीव पाठक, नवांशहर : दोआबा क्षेत्र की प्रमुख शुगर कंपनियों में शुमार नवांशहर को-ऑप्रेटिव शुगर मिल में अग्नि पूजा हो चुकी है। शुक्रवार से नए गन्ना सीजन की पिराई का काम शुरू होने जा रहा है, लेकिन किसानों के 28 करोड़ 8 लाख रुपये की देनदारी मिल पर खड़ी है। इसने गन्ना किसानों को मौजूदा फसल के भुगतान पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। 28 करोड़ रुपये पिछले सीजन का है। इसका भुगतान कब होगा इसके बारे में किसी को नहीं पता। शुगर मिल में 490 गांवों के दो हजार से अधिक किसान गन्ना सप्लाई करते हैं। शुगर मिल में हर साल करीब 36 लाख क्विंटल गन्ना आता है। इससे कंपनी साढ़े तीन लाख क्िवटल चीनी हर साल तैयार करती है। साल 2017 में 15 नवंबर को मिल को शुरू किया गया था और मिल 23 अप्रैल 2018 को मिल के बंद हो गई थी। मिल ने तय समय पर गन्ना किसानों से लिया। इसकी चीनी बनाई और मार्केट में बेच दी। मिल के अधिकारी कहते हैं कि हम उधार कुछ भी नहीं बेचते हैं। इस लिहाज से इसका भुगतान भी हो चुका है। लेकिन यह भुगतान सरकार के पास है। खेती विभिन्नता पर जोर देने वाली सरकार गन्ना किसानों को एक सीजन बीतने के बाद भी उनकी फसल का भुगतान नहीं कर पा रही है, जबकी धान व गेहूं का भुगगतान को 72 घंटे में हो जाता है। किसान कहते हैं कि भुगतान न होने से उनके कर्जों का ब्याज बढ़ता जा रहा है। सरकार भुगतान में देरी करती है तो उसका ब्याज अदा नहीं करती है केवल असल रकम दी ही जाती है जबकि बैंक उन्हें ब्याज का एक पैसा भी नहीं छोड़ते हैं।

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संघर्षों के बाद जारी हुए थे 13 करोड़

शुगर मिल द्वारा महीनों भुगतान न करने गन्ना उत्पादक किसानों ने मिल के खिलाफ संघर्ष छेड़ दिया था। कई बार धरने लगाए गए और प्रदर्शन किए गए। किसानों के दबाव व अपनी गिरती साख को देखते हुए मिल ने किसानों को 13 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया। मिल के अधिकारी कहते हैं कि यह भुगतान अपने संसाधनों से किया गया था। सरकार से जो रकम आनी है। वह ही पेंडिग है। उन्होंने कहा कि मिल असर में 70 फीसद से अधिक भुगतान किसानों का कर चुकी है। सूबे के ज्यादातर मिलों से यहां का भुगतान ज्यादा बेहतर है।

भुगतान सरकार को करना है : ¨झगड़

शुगर मिल के चेयरमैन रणजीत ¨सह ¨झगड़ कहते हैं कि यह जो बकाया खड़ा है कि वह 23 मार्च से 22 अप्रैल तक सप्लाई हुए गन्ने का है। इससे पहले किसानों के गन्ने का भुगतान किया जा चुका है। अब सरकार को यह तय करना है कि भुगतान कब किया जाए, रुपये सरकार को जारी करने हैं। इसकी फाइल सरकार के पास भेजी गई है जल्द ही इस पर फैसला हो जाएगा।

भुगतान न होने से किसान हैं संकट में : परमजीत

गन्ना सप्लाई करने वाले किसानों की संघर्ष कमेटी के परमजीत ¨सह कहते हैं कि किसानों ने अपनी फसल मिल को दे दी। मिल ने चीनी बना कर बाजार में बेच दी, लेकिन हमें हमारा भुगतान नहीं मिल है। जबकि यह दूसरा सीजन शुरू हो रहा है। पिछले साल भी किसानों का भुगतान बहुत देरी से हुआ था। सरकार को किसानों के हितों का ध्यान रखना चाहिए। भुगतान न होने से किसानों की आर्थिक स्थिति खराब होती है और लिए गए कर्जों को वापस करने में समस्या आती है।


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