मनुष्य की सोच सही हो तो सुधर जाते हैं कर्म
संवाद सूत्र, नवांशहर गीता भवन मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमदभागवत कथा
संवाद सूत्र, नवांशहर
गीता भवन मंदिर में जन्माष्टमी महोत्सव के उपलक्ष्य में आयोजित श्रीमदभागवत कथा के दूसरे दिन पंडित घनश्याम वशिष्ठ (कान्हा भईया) ने श्री राधा नाम की महिमा का गुणगान किया।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि ठाकुर श्री कृष्ण को अगर पाना है तो श्री राधा नाम आश्रय भक्तवृन्दों को लेना चाहिये। राधा नाम लेने मात्र से मुनष्य की कोटि जन्म की बाधा कट जाती है। राधा नाम सदा सुखदाई है। कान्हा भईया ने बताया कि जो सभी के बारे में सोचते है वही कृष्ण है, कृष्ण हर जगह है। भागवत सारे मनोरथ पूरे करवाते है। भागवत के माध्यम से दुर्लभ चीज भी प्राप्त की जा सकती है। भागवत एक उस कल्पवृक्ष के समान है जो मांगने पर कुछ भी देती है, नहीं मांगने वाले को मोक्ष देती है। अगर सात दिन संयम-नियम व विश्वास से कथा सुनी जाए तो हर मनोकामनाएं पूरी होती है।
बस उसके लिए सब्र चाहिए। जिस तरह किसान बीज बोने के बाद इंतजार करता है, उसी तरह धर्म-कर्म करने वालो को भी प्रभु कृपा के लिए इंतजार करना चाहिए। कान्हा भईया ने बताया कि जो भगवान की भक्ति चाहते हैं उन्हें पहले सच्चे श्रोता बनना होगा। श्रीमदभागवत श्रवण करने मात्र से मनुष्य की सोच बदल जाती है। जब व्यक्ति की सोच सही हो जाए तो कर्म भी बदल जाते हैं, कर्म सुधार होने पर जीवन सुखमय होता जाता है। व्यक्ति पाप से बचने लगता है। धीरे-धीरे उसमें भक्ति उत्पन हो जाती है, वह प्रभु चरणों तक चला जाता है। भगवान सदा अपने भक्त की रक्षा करते हैं भक्तों पर उनकी कृपा हमेशा बरसती है।
भागवत की महिमा बताते हुए उन्होंने कहा कि भागवत कथा मंगलाचरण श्रवण करने से जीवन में मंगल ही मंगल होता है। भागवत जी की आरती पापों से मुक्ति दिलाती है। आरती के समय मन प्रभु चरणों में ही लगा होना चाहिए। ऐसे महत्वपूर्ण प्रसंगों के साथ श्री शुकदेव जन्म व राजा परीक्षित जी के जन्म के सुंदर से प्रसंग पर कथा विश्राम हुई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।