शहरनामा
घोटाले पर सियासत सियासत में भ्रष्टाचार हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहा है। अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार मुक्त
घोटाले पर सियासत
सियासत में भ्रष्टाचार हमेशा एक बड़ा मुद्दा रहा है। अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने व सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए आंदोलन शुरू किया था। उस आंदोलन की वजह से भ्रष्टाचार पर नकेल कसी गई या नहीं यह अलग से बहस का मुद्दा है। मगर भ्रष्टाचार व घोटाले खुद में ही बड़ा मुद्दा हैं। जिसे भुनाने के लिए हरेक पार्टी एक दूजे पर कीचड़ उछालने में पीछे नहीं रहते हैं। मगर यह किस्सा कुछ हट कर है। एक बैंक में हुए घोटाले को लेकर एक समय सत्ता पक्ष की तरफ से खासा हो हो हल्ला मचाया गया। इस मामले को लेकर विपक्ष तक को घेरा गया। विपक्ष के पास भी मामले को लेकर कोई जवाब नहीं था।
मगर पहले सत्ता पक्ष जो घोटाले को लेकर हर जनसभा में विपक्ष को घेर रही थी, वही अब उक्त मामले को लेकर न केवल खामोश हो गई है, बल्कि मामले को दबाने में भी जुट गई है। इसमें रोचक बात यह है कि सत्ता पक्ष से संबंधित ही एक दल की तरफ से मामले को हवा दी जा रही है। यही नहीं मामले में दूसरे पक्ष की तरफ से साधी गई चुप्पी पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं कि एक समय तक मामले को लेकर विपक्ष तक को घेरने वाले नेता अब इसी मामले को दबाने के लिए जोर लगाए हुए हैं। यही बस नहीं बातें तो विपक्ष पर फिर से उठने लगी हैं कि एक समय तक सत्ता पक्ष के तीखे वारों को सहते रहे विपक्ष के नेता अब पूरे मामले को लेकर खामोश बैठे हैं। राजनीतिक हलके में इस मामले को लेकर भी खासी चर्चा चल रही है कि एक पक्ष जो पहले घोटाले मामले में हुई कार्रवाई को गलत बता रहा था वहीं दूसरा पक्ष उसे सही बता रहा था अब दोनों ही पक्ष खामोश हो गए हैं। इस मामले में सत्ता पक्ष से संबंधित एक गुट फिर से मामले को हवा दे रहा है। लोग इस मामले को लेकर खासे हैरत में हैं।
इसी बीच कहीं न कहीं मामले को लेकर सियासी गतिविधियां भी धीमी पड़ती नजर आ रही हैं। हालात यह है कि घोटाला मामले में संलिप्त के लिए भी कहीं न कहीं लोगों में हमदर्दी पैदा हो रही है। मगर लोग राजनेताओं के बदलते रंग से हैरान हैं, आज कल इसी मामले को लेकर चर्चाओं का दौर गर्म है।
मनदीप ¨सह।