पराली जलाने से होने वाली नुकसान को समझा, अब लोगों के लिए बनी सहकारी सभा मसीहा
संवाद सूत्र, नवांशहर पराली पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या बन गई है। इसके जलाने से होने वाले प्रदूषण को
संवाद सूत्र, नवांशहर
पराली पर्यावरण के लिए बड़ी समस्या बन गई है। इसके जलाने से होने वाले प्रदूषण को खत्म करने के लिए तमाम प्रयास किए गए हैं, लेकिन सफल नहीं हो पाए हैं। लेकिन बेगमपुर की सहकारी खेतीबाड़ी सभा के प्रयासों से आस-पास के पांच गांवों बेगमपुर, जाफरपुर, हुसैन चक, सलोह, हियाला, करनाना में पराली में आग लगाने की परंपरा खत्म होने की स्थिति में पहुंच गई है। सभा की ये सफलता के साथ अन्य सभाओं और गांवों के लिए एक प्रेरणादायक बन गई है।
सभा के सेक्रेटरी अमरीक ¨सह ने बताया कि नवंबर 2013 में तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर अनदिता मित्रा ने बैठक में पूछा कि बेलर इस्तेमाल के अनुभव के लिए आगे आने के लिए कहा, उस समय केवल सहकारी कृषि बेगमपुर आगे आई। इस प्रकार जिले का पहला बेलर व रेकर लेने की हामी भरी।
उसी साल 25 नवंबर को लंगडोया के कृषि विज्ञान केंद्र के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर की मौजूदगी में मशीन का परीक्षण भी किया गया।
उसके बाद लगातार बेलर मशीन पास के गांवों में पराली जलाने से रोकने में बड़ा योगदान दे रही है। इस पहल से इस सोसायटी को पीएयू में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित भी किया जा चुका है। सहकारिता सप्ताह सम्मेलन के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ब्रह्मा म¨हद्रा द्वारा राज्य स्तरीय पुरस्कार दिा गया।
अमरीक ¨सह ने बताया तब उन्हें पंजाब किसान आयोग से इस मशीन पर 13.10 लाख रुपये की 40 फीसद सब्सिडी मिली थी। मशीन हर साल लगाए लागत वापस आ गया था, गन्ने और धान 12000 से 14000 क्विंटल धान की पराली मशीन के माध्यम से एकत्रित करके बायोमास प्लांट को भेजी जाता है।
बेलर मशीन आज जहां हर साल 22 लोगों को रोजगार दे रही है। बेलर ऑपरेटर और पराली की गांठें सहित वृद्धि हुई है। इसके अलावा 5 ट्रैक्टर-ट्रालियों को हर साल 35 रुपये प्रति क्विंटल की परिवहन दर पर इस व्यवसाय से रोजगार मिलता है। प्रत्येक वर्ष 550 से 630 एकड़ धान के भूसे और 100 एकड़ गन्ना हर साल वितरित किया जाता है। सहकारी कृषि सभ वेगमपुर पराली जलाने से मिली सफलता के लिए पहला कदम है, जो अन्य उपकरणों रोटावेटर, हैप्पी सीडर, कटर आदि, यह भी सरकार द्वारा आठ लाख रुपये पर 80 प्रतिशत की सब्सिडी की लागत सहित, उठाए गए हैं।