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हिंदी का अपने ही देश में घुट रहा है दम

संवाद सूत्र, नवांशहर ¨हदुस्तान की राष्ट्र भाषा कही जाने वाली ¨हदी का अपने ही देश में दम घुट रहा है

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Sep 2018 07:50 PM (IST)Updated: Thu, 13 Sep 2018 07:50 PM (IST)
हिंदी का अपने ही देश में घुट रहा है दम
हिंदी का अपने ही देश में घुट रहा है दम

संवाद सूत्र, नवांशहर

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¨हदुस्तान की राष्ट्र भाषा कही जाने वाली ¨हदी का अपने ही देश में दम घुट रहा है। दुनिया के जितने भी देशों ने तरक्की की है, उन्होंने अपने ज्ञान विज्ञान को शिक्षा अपनी अपनी भाषा में ही देने की व्यवस्था की है। चीन, फ्रांस, रूस, जर्मनी, जापान आदि किसी किसी ने भी मातृभाषा का दामन नहीं छोड़ा, लेकिन भारत की राष्ट्रीय भाषा कहीं जोन वाली ¨हदी का दामन तार-तार है। 80 फीसद लोग ¨हदी पढ़, लिख या बोल सकते हैं, 95 फीसद लोग किसी न किसी रूप में ¨हदी को समझ सकते हैं।

सरकारी मिडिल स्कूल चूहड़पुर के हेड मास्टर सुरेश शास्त्री ने कहा कि आज राष्ट्र की मुख्य धारा से जुड़ने के लिए ¨हदी का ज्ञान बहुत जरूरी है। असल में जिसे हम ¨हदी कहते हैं, उसमें देश की 17 बोलियों का समाहार है। इनमें कन्नौजी, खड़ी बोली, भोजपुरी, मैथिली, ब्रज, बांगरू, बुंदेली, अवधी और गढ़वाली आदि शामिल हैं। इसके अलावा ¨हदी ने दूसरी भाषाओं के कम से कम पांच हजार शब्द अपनाए हैं। ¨हदी राष्ट्र भाषा बनने का पूरी तरह से साम‌र्थ्य रखती है। इसके लिए जमीनी स्तर पर कठोर प्रयत्न करने की जरूरत है। ¨हदी एक भाषा ही नहीं बल्कि भारतीयता की पहचान है।

सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल कहीला की ¨हदी अध्यापिका रजनी शर्मा ने कहा कि एक स्वाभिमानी देश और उसकी संस्कृति उसकी भाषा से ही जीवित रहती है। राष्ट्र भाषा के रूप में ¨हदी के सौंदर्य और साम‌र्थ्य को कौन नहीं जानता। बावजूद इसके हमारे बुद्धिजीवी वर्ग ने इसे हमेशा आंखों से ओझल किया और अंग्रेजी की जूठन को हमेशा तरजीह देते रहे। साथ ही यह भी तर्क देते रहे कि ¨हदी किसी सूक्ष्म विषय की व्याख्या के लिए समर्थ नहीं है यदि हम सिर्फ ¨हदी के शब्दों के ही साम‌र्थ्य की बात करें तो ¨हदी में ब्रह्म के लिए जीव के लिए, जगत के लिए और मोक्ष के लिए जितने विभिन्न शब्द हैं, उतनी ही विभिन्न अनुभूतियां हैं।

एडवोकेट एसएस कोहली ने बताया कि ¨हदी को दक्षिण भारत में स्थापित करने के लिए और ज्यादा मेहनत की जरूरत है। जहां तक पंजाब का प्रश्न है, यहां ¨हदी गुरु काल से ही फल फूल रही है। मध्यकाल में पंजाब के लेखकों ने अनेक ¨हदी ग्रंथों की रचना की। भक्त करीब, संत रविदास, सेन भगत, स्वामी रामानंद, भगत सदना, बाबा सुंदर, जयदेव व भगत वेणी की वाणी ¨हदी साहित्य रचना की साक्षी हैं। अगर श्री गुरु अर्जुन देव जी इन भक्तों की वाणी को गुरु ग्रंथ साहिब में स्थान न देते तो ¨हदी साहित्य इनकी प्रमाणिक वाणी से वंचित रह जाता। गुरु गो¨बद ¨सह जी के विद्या दरबार में 52 कवि थे। इन कवियों ने गुरु जी के विद्या दरबार में रहकर प्राचीन संस्कृत ग्रंथों का ¨हदी में अनुवाद किया।

एडवोकेट त्रिभुवन शर्मा ने कहा कि संविधान सभा ने 14 सितंबर 1949 को ¨हदी को राष्ट्र भाषा के रूप में प्रतिष्ठित किया था। 12 सितंबर को संविधान सभा में संविधान सभा में संविधान ड्रा¨फ्टग कमेटी की ओर से राष्ट्र भाषा का मसौदा गोपाल स्वामी अयंगर ने पेश किया। कमेटी राष्ट्र भाषा के मामले में विभाजित थी। कमेटी अध्यक्ष डॉ. आंबेडकर ¨हदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने के पक्षधर थे। मसौदा मोल तोल के बाद पेश हुआ। जिसे अंतत: 14 सितंबर को स्वीकार किया गया। फाइनल ड्राफ्ट स्वीकार करने से पहले ही संशोधन पेश हो गया। उसके अनुसार ¨हदी राष्ट्र भाषा के सम्मानजनक पद पर प्रतिष्ठित तो हुई, लेकिन यह घोषणा की गई कि संविधान लागू होने के 15 साल के बाद अंग्रेजी का स्थान ¨हदी लेगी।

बीएसएनएल नवांशहर के डिवीजनल इंजीनियर रमेश चंद्र ने कहा कि सभी भारतीय भाषाओं की पूरी इज्जत करते हुए हेमं अपने देश की केंद्रीय सरकार और केंद्रीय सस्थाओं का सारा काम काज ¨हदी में चलाने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए दक्षिण भारत में भी ¨हदी का प्रचार प्रसार करने के लिए ¨हदी प्रेमियों को अपनी सेवाएं अर्पित करनी चाहिए। ¨हदी सीखने और समझने के लिए हमारे अंदर हीनता की भावना नहीं आनी चाहिए। ¨हदी को भाषा और बोली के रूप में सरल और सुबोध बनाने की कोशिशें जारी रहनी चाहिए। आजाद ¨हदोस्तान में अपनी राष्ट्र भाषा ¨हदी से अंग्रेजी ज्यादा लगाव होना लाजिमी है।


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