एलआइसी कंपनी पर 10 हजार का जुर्माना
नवांशहर जिला कंज्यूमर डिस्प्यूट रीड्रेसल फोरम ने एलआइसी द्वारा पॉलिसी मैयोर होने के बावजूद पूरी रकम अदा न करने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना व बाकी की रकम ब्याज सहित लौटाने का निर्देश दिया है।
जागरण संवाददाता, नवांशहर : जिला कंज्यूमर डिस्प्यूट रीड्रेसल फोरम ने एलआइसी द्वारा पॉलिसी मैच्योर होने के बावजूद पूरी रकम अदा न करने पर 10 हजार रुपये का जुर्माना व बाकी की रकम ब्याज सहित लौटाने का निर्देश दिया है। मिली जानकारी के मुताबिक बंगा के गुरपाल सिंह ने फोरम में शिकायत की थी कि उनके पॉलिसी की मैच्योरिटी वैल्यू एक लाख 42 हजार 502 रुपये थी। 28 मार्च 2013 को यह पॉलिसी मैच्योर होने पर कंपनी की ओर से उनके खाते में एक लाख 618 रुपये ट्रांसफर किए गए। इसके बाद गुरपाल सिंह ने कंपनी को कई बार मेल करके अपनी शिकायत भेजी और अपनी बकाया राशि 41 हजार 886 रुपये की मांग की। इंश्योरेंस कंपनी ने न तो उनकी शिकायतों का निपटारा किया उन्हें मेल का जवाब तक नहीं भेजा गया और बाकी रकम भी नहीं दी। उनकी पालिसी की मैच्योरिटी की रकम से रुपये काटने के बारे में कंपनी ने उन्हें सूचित तक नहीं किया। गुरपाल सिंह ने फोरम से उनकी काटी रकम 15 फीसद ब्याज के साथ लौटाने और 20 हजार रुपये मुआवजा दिलवाने की गुहार लगाई थी।
कंप्यूटर सिस्टम में गड़बड़ी के चलते नहीं हुआ पूरा भुगतान
फोरम को इंश्योरेंस कंपनी की ओर से बताया गया कि यह पॉलिसी 10 हजार रुपये सालाना की किश्त वाली दस साल के लिए थी। इसे 28 मार्च 2014 को एक लाख 38 हजार 229 का भुगतान किया जाना था। कंपनी एक लाख 618 रुपये का भुगतान कर चुकी है। कंप्यूटर सिस्टम में गड़बड़ी के कारण 34 हजार 557 रुपए का भुगतान नहीं किया जा सका। इस मामले को हैड आफिस में भेजा गया जिससे बाकी की रकम का भुगतान करवाया जा सके। इस प्रकार यह सेवा में कमी नहीं है। कंपनी के प्रतिनिधि ने कहा जब कंपनी भुगतान को तैयार है तो मामले को यहीं खत्म किया जाना चाहिए।
बकाया रकम नौ फीसद ब्याज के साथ लौटाने के निर्देश
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फोरम के प्रधान कुलजीत सिंह ने इंश्योरेंस कंपनी से कहा कि शिकायतकर्ता ने सीनियर सिटीजन की मेहनत से कमाई की रकम को बुढ़ापे के लिए कंपनी में लगाया था, इसलिए कंपनी को बकाया रकम 9 फीसद ब्याज के साथ लौटाने के निर्देश दिए। फोरम ने इंश्योरेंस कंपनी द्वारा भुगतान न करने से हुई दिमागी परेशानी के एवज में 4 हजार व केस करने के खर्चे के रूप में चार हजार रुपये अदा करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही दो हजार रुपए कंज्यूमर वेलफेयर फंड के लिए जमा करवाने के निर्देश दिए। इन आदेशों को एक महीने के भीतर लागू करने का भी निर्देश दिया गया।