कभी ने करें अहंकार और क्रोध, खो सकते हैं बोध
नवांशहर श्री राम संकीर्तन सेवा समिति द्वारा बाबा बालकनाथ मंदिर नवांशहर में आयोजित संगीतमय श्री राम कथा के छठे दिन राष्ट्रीय संत छोटे मुरारी ने भगवान राम विवाह के बाद सीता विदाई का प्रसंग सुनाया।
संवाद सूत्र, नवांशहर : श्री राम संकीर्तन सेवा समिति द्वारा बाबा बालकनाथ मंदिर नवांशहर में आयोजित संगीतमय श्री राम कथा के छठे दिन राष्ट्रीय संत छोटे मुरारी ने भगवान राम विवाह के बाद सीता विदाई का प्रसंग सुनाया। उनकी ओर से कथा में विदाई का भजन आओ सखियो गीत गाओ सखियो कोई विदाई का..,घड़ी आ गई जुताई की गाकर संगत को भावुक कर दिया। उन्होंने बताया कि सुहागवती महिलाओं के पांच चिन्हों में सिदूर भी एक है। हिदू रीति रिवाज के अनुसार सुहागवती महिलाएं सिदूर जरूर लगाएं। भगवान श्री राम जी के जीवन लीला के अनुसार तीन जयकारों से राम जी के जयकारे लगाते हैं। जब कंवारे थे तो बोलो राम चंद्र जी महाराज, विवाह के बाद सीया वर राम चंद्र तथा राजा बनने के बाद राजा राम चंद्र भगवान की जयबोली जाती है। जिदगी में कभी भी किसी चीज का अहंकार नहीं करना चाहिए तथा न ही कभी क्रोध करना चाहिए। इस अवसर पर सफाई कर्मचारी यूनियन के प्रधान सूरज खोसला, पूर्व विधायक गुरइकबाल कौर बबली, प्रधान शंकर दुग्गल, जेके दत्ता, डा. जेडी वर्मा, रतन जैन, यशपाल सिंह हाफिजावादी आदि बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। इस अवसर पर श्री राम, सीता, राजा दशरथ तथा माता सुनैना की मनमोहनक झाकियां पेश की गई।
अहंकार में बुद्धि को खो देता है मनुष्य
अहंकार में मनुष्य अपनी बुद्धि को खो देता है और सही फैसले नहीं कर पाता है। अहंकार में आकर लिए गए हर फैसला गलत ही होता है। भगवान राम जी कथा की यह भी एक सीख है। भगवान राम जी ने कभी क्रोध नहीं किया। क्रोध में व्यक्ति अपने दिमाग की सोचने की शक्ति खो बैठता है। अगर कभी जिदगी में संकट आ जाए तो संकट मोचन पाठ का उच्चारण करें, संकट कम हो सकता है। आज के समय अनुसार लड़कियों को अधिक से अधिक शिक्षा देनी चाहिए।