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विकारों के अंधेरे में रास्ते से भटक रहे मानव को भक्ति की राह दिखाती है श्रीराम कथा

श्रीराम कथा माया व विकारों के अंधेरे में भटक रहे मानव को भक्ति का उज्ज्वल पथ दिखलाती है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 02 Feb 2020 05:06 PM (IST)Updated: Mon, 03 Feb 2020 06:07 AM (IST)
विकारों के अंधेरे में रास्ते से भटक रहे मानव को भक्ति की राह दिखाती है श्रीराम कथा
विकारों के अंधेरे में रास्ते से भटक रहे मानव को भक्ति की राह दिखाती है श्रीराम कथा

जेएनएन, नवांशहर : श्रीराम कथा माया व विकारों के अंधेरे में भटक रहे मानव को भक्ति का उज्ज्वल पथ दिखलाती है। ऐसे मनुष्यों के शुष्क हृदय में संवेदनाओं और भावनाओं का संचार करने में भी श्रीराम कथा सक्षम है। यह विचार एक से पांच फरवरी तक एसडी सीनियर सेकेंडरी स्कूल नवांशहर में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की ओर से चल रही श्रीराम कथा के पहले दिन कथा व्यास साध्वी सुश्री सुमेधा भारती ने व्यक्त किए। कथा के प्रांरभ मे एडवोकेट जेके दत्ता, कामिनी दत्ता, केसर सलन, राजविदर कौर, मीना रलाह, चाहत रलाह, सुरजीत कौर सहजल ने पूजा की। साध्वी सुमेधा ने कहा कि ईश्वरीय महिमा से ओतप्रोत प्रभु की कथा सदैव जन-जन का कल्याण करती है और जन-मानस को यह जन-कल्याण के मार्ग पर अग्रसर होने की प्रेरणा भी देती है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी ने कंटकाकीर्ण वन पथ का चयन इसलिए किया, ताकि अधर्म का समूल नाश कर सभी के जीवन में सुख व समृद्धि के पुष्प खिलाए जाएं। भूतभावन भगवान भोलेनाथ ने जन-जन के रक्षण के लिए सागर से निकले विष को कंठस्थ कर लिया। कथा के दौरान संजीव दुग्गल, प्रमोद, गुरविद्र, अश्विनी बलग्गन, विवेक मारकंडा, महेश साजन, मीनू तेजपाल, डॉक्टर सुमन सूद ने दीप प्रज्वलित की और विशेष रूप में प्रभु की पावन आरती में शामिल हुए।

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मानव वह है जो औरों के लिए जिए

साध्वी सुमेधा ने कहा कि आपाधापी भरे जीवन में सभी केवल अपने लिए जीते हैं। मानव तो वह है जो औरों के लिए जीए। अपने दु:ख में तो सभी गमगीन हो ही जाते हैं, लेकिन सच्चा मानव तो वह है जो दूसरों के दु:ख देखकर द्रवित हो उठे। जो दूसरों की भलाई के लिए अपने सुखों का त्याग कर दे। उन्होंने बताया कि मानव के अंधकारमय हृदय में परकल्याण रूपी भावना का सूर्य तभी उदय हो पाएगा जब उसकी सोच विशाल होगी, क्योंकि संकीर्ण दायरों में बंधा मानव कभी भी विशाल संसार के बारे में नहीं सोच सकता।

ऋषियों की बड़ी सोच का कारण अध्यात्मवादी होना

ऋषियों की सोच विशाल थी। वे सदा कहते थे सभी सुखी हों, सभी के दु:ख-दर्द समाप्त हों, सभी अपने बुरे कर्मो से मुक्त होकर सुंदर जीवन व्यतीत करें। उनकी बड़ी सोच का कारण उनका अध्यात्मवादी होना था, क्योंकि अध्यात्म ही मरुस्थल हृदय में प्रेम के पुष्पों को पल्लवित कर सकता है। आज भी मानव के हृदय में परमार्थ की कलियां खिला कर उसकी सोच को अध्यात्म ही विशाल कर सकता है। प्रभु की कथा इसी अध्यात्म ज्ञान का संदेश देती है।


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