पाकिस्तान में भगत सिंह के नाम पर चौक, अपने देश में शहीद का दर्जा नहीं
शहीद-ए-आजम भगत सिंह को पाकिस्तान ने बनता सम्मान दिया और उनके नाम पर चौक का नाम रखा है।
जाटी, खटकड़ कलां, बंगा : शहीद-ए-आजम भगत सिंह को पाकिस्तान ने बनता सम्मान दिया और उनके नाम पर चौक का नाम रखा है, लेकिन अपने देश में शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव को आज तक शहीद का दर्जा नहीं मिला जो दुख की बात है। सहकारिता व जेल मंत्री सुखजिदर सिंह रंधावा ने शनिवार को यहां यह बात कही। वह शहीद भगत सिंह के 112वें जन्मदिवस पर खटकड़ कलां स्थित उनके स्मारक व म्यूजियम में आयोजित समारोह में शामिल होने आए थे। सबसे पहले उन्होंने शहीद को पुष्प अर्पित कर नमन किया। भगत सिंह के पिता किशन सिंह की समाधि पर भी उन्होंने पुष्प अर्पित किए गए। सहकारिता व जेल मंत्री ने इसके बाद कहा कि अंडेमान व निकोबार की जेल में पंजाब के स्वतंत्रता सेनानियों का नाम न लिखे हों, यह भी दुख की बात है। उस जेल को काले पानी का नाम पंजाबी देश भक्तों ने वहां कैद रहने के दौरान दिया था। मंत्री ने बताया कि इस संबंध में उन्होंने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर अपना रोष जताया है। उन्होंने कहा कि देश की खातिर शहीद होने वाले सेनानियों और उनके परिवारों का मान सम्मान करना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। रंधावा ने कहा कि श्री गुरु नानक देव व भगत सिंह ने अपने समय में अन्याय, सामाजिक भेदभाव के खिलाफ आवाज बुलंद की। श्री गुरु नानक देव ने भ्रमो को खत्म किया और बाबर जैसे शासक को जाबर तक कहा। इसी प्रकार भगत सिंह ने भी देश में अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे अत्याचार के खिलाफ हथियारबंद संघर्ष का रास्ता चुना था। उन्होंने का, आज लोकतंत्र में जब तक हम अपने प्रतिनिधियों का चुनाव ठीक से नहीं कर सकते तब तक भ्रष्टाचार व बेईमानी को कैसे दूर कर सकते हैं। इस दौरान विधायक दर्शन लाल मंगूपुर, डीसी विनय बबलानी, एएसपी अलका मीना, जिला कांग्रेस के प्रधान प्रेम चंद भीमा, पूर्व जिला प्रधान सतबीर सिंह पल्ली-झिक्की, डॉ. हरप्रीत सिंह व कुलदीप सिंह राणा समेत मौजूद थे।
बागी नहीं बल्कि इंकलाबी थे भगत सिंह
रंधावा ने कहा कि भगत सिंह बागी नहीं इंकलाबी थे। उन्होंने कहा, पंजाबियों द्वारा आजादी की लड़ाई में दिए योगदान को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मान मिलना जरूरी है। देश की आन-बान व शान के लिए मिटने वाले बागी नहीं बल्कि इंकलाबी होते हैं। जब वह इंकलाब लाने में सफल हो गए थे तो उन्हें इतिहास में बागी नहीं बल्कि शहीद का दर्जा मिलना जरूरी है। श्री गुरु नानक देव भी महान इंकलाबी थे।
अवकाश नहीं सोच के बारे में जागरूक करने की जरूरत
रंधावा ने कहा कि शहीदों के जन्म दिन पर अवकाश की नहीं बल्कि उनके जीवन व उनकी सोच के बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत है। इस दिन स्कूल कॉलेजों में सेमिनार लगाने चाहिए। ताकि नौजवान पी़की अपने इस महान फलसफे के बारे में जान सके। इस दौरान उन्होंने केवल लड़कियों की मैंबरशीप पर आधारित मंढाली व काहमा गांव के युवक सेवाएं क्लब की शुरुआत की।
भगत सिंह के परिवार वालों को किया सम्मानित
समारोह में पहुंचे शहीद भगत सिंह के परिवार से उनके भाई कुलतार सिंह के बेटे किरनजीत सिंह वह उनकी पत्नी मनजीत कौर, चाचा स्वर्ण सिंह की पोती जसमीत कौर, शहीद सुखदेव सिंह के भतीजे अशोक थापर, संदीप थापर, व रिश्ते में पोत त्रिभुवन थापर को सम्मानित किया गया। पंजाबी संगीत नाटक अकादमी की नाटक मंडली ने नाटक बसंती चोला व सिख नेशनल टीम ने इस अवसर पर भंगड़े का आयोजन किया।