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किसानों को पराली न जलाकर मानवता और पर्यावरण बचाने के लिए किया प्रेरित

किसानों को गांव उटालां में एक बैठक कर पराली को न जलाने के लिए प्रेरित किया गया।

By JagranEdited By: Published: Mon, 16 Sep 2019 07:08 PM (IST)Updated: Tue, 17 Sep 2019 06:36 AM (IST)
किसानों को पराली न जलाकर मानवता और पर्यावरण बचाने के लिए किया प्रेरित
किसानों को पराली न जलाकर मानवता और पर्यावरण बचाने के लिए किया प्रेरित

जेएनएन, नवांशहर : किसानों को गांव उटालां में एक बैठक कर पराली को न जलाने के लिए प्रेरित किया गया। इसके लिए फसली विभिन्नता के अधीन खेतीबाड़ी और किसान भलाई विभाग द्वारा गांव उटालां में ब्लॉक खेतीवाड़ी अफसर सुशील कुमार की अध्यक्षता में बैठक की गई। इस मौके धान की पराली को आग लगाने के नुकसान बताते हुए डॉक्टर करनेल सिंह खेतीवाड़ी अफसर ने बताया कि पराली को जलाने पर उससे जो धुआं निकलता है उसमें जहरीली गैस होती है। इस जहरीली गैस से मनुष्य शरीर के फेफड़ों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके साथ ही पीजीआई की रिपोर्ट मुताबिक इस गैस से बच्चों की सोच शक्ति भी कम हो रही है। इस मौके उन्होंने किसानों को अधिक से अधिक पराली को संभालने वाली मशीनरी को सब्सिडी पर लेने के लिए प्रेरित करते हुए पराली को खेतों में ही जोतने के लिए उत्साहित किया। किसानों को फसली विभिनता तहत साउनी की फसलों में अधिक से अधिक मक्की लगाने के लिए प्रेरित किया। खेतीबाड़ी विकास अफसर डॉ. जसविदर कुमार ने किसानों को जरूरत मुताबिक और सही समय पर कीटनाशक और नदीन नाशक का इस्तेमाल को अधिक से अधिक उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। इसके लिए कीड़ेमार दवाईयों का इस्तेमाल करने के लिए कौन किश्म की नोजल नदीन नाशकों के लिए फ्लड जट्ट तथा फ्लैट फैन किशम की नोजल का इस्तेमाल करने की सलाह दी। उन्होंने किसानों को अपील की कि यह मौसम फसली बीमारियों के बहुत अनुकूल है इसलिए वह लगातार अपनी फसलों का निरीक्षण करते रहें। सरबजीत सिंह खेतीवाड़ी उप निरीक्षक नवांशहर ने मिट्टी की जांच की महत्वता और सैंपल लेने के ढंग प्रति जानकारी देते हुए मिट्टी जांच के आधार पर ही खाद्य का उपयोग करने की सलाह दी। इस मौके बागवानी विकास अफसर डॉक्टर जगदीश काहमा, बागवानी विकास अफसर ने किसानों को घरेलू बगीचे प्रति जानकारी दी गई। इस मौके कश्मीर सिंह, परमजीत सिंह, गुरदीप सिंह, हरप्रीत सिंह, रणवीर सिंह और गांव ऊटालां और बीरोवाल के समूह किसान मौजूद रहे।

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