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कोरोना काल में महंगाई ने तोड़ी कमर

नवांशहर जिले में कोरोना का कहर रूकने का नाम नहीं ले रहा है। यही कारण है कि जिला प्रशासन की ओर से आजकल मिनी लाकडाउन भी लगाया गया है। वहीं लाकडाउन के कारण व्यापार मंदा रहने से कई लोग बेरोजगारी का दंश भी झेल रहे है। उस पर मुसीबत वाली ज्यादा बात यह है कि खाने-पीने की वस्तुएं प्रतिदिन बढ़ती जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 15 May 2021 10:19 PM (IST)Updated: Sun, 16 May 2021 09:19 AM (IST)
कोरोना काल में महंगाई ने तोड़ी कमर
कोरोना काल में महंगाई ने तोड़ी कमर

वासदेवी परदेसी, नवांशहर

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जिले में कोरोना का कहर रूकने का नाम नहीं ले रहा है। यही कारण है कि जिला प्रशासन की ओर से आजकल मिनी लाकडाउन भी लगाया गया है। वहीं लाकडाउन के कारण व्यापार मंदा रहने से कई लोग बेरोजगारी का दंश भी झेल रहे है। उस पर मुसीबत वाली ज्यादा बात यह है कि खाने-पीने की वस्तुएं प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। बढ़ती महंगाई से आम जनता बहुत परेशान है। लोगों का कहना है कि ऐसे में वे क्या खाएं और क्या पीएं, क्योंकि आय के साधन बहुत सीमित रह गए हैं।

उद्योगों व अन्य संस्थानों में आजकल कोरोना के कारण वैसे ही रोजगार की कमी है। उस पर महंगाई आम जनता की कमर तोड़ रही है। रसोई से लेकर हर आम जरूरत का सारा सामान महंगा हो चुका है। ऐसे में आम आदमी को अपना घर चलाना मुश्किल हो गया है। इस बारे में दैनिक जागरण ने शहर के लोगों से इस बारे में बातचीत कर उनकी राय जानी। लोगों का कहना है कि इस बारे में सरकार को गंभीरता से सोचना चाहिए और महंगाई पर काबू पाने के लिए नीति बनानी चाहिए, ताकि आम जनता राहत महसूस कर सके

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कालाबाजारी को रोके सरकार

अमरजीत सिंह का कहना है कि सब्जियों व दालों सहित रसोई में इस्तेमाल होने वाली हर वस्तु के दाम भी बढ़ गए हैं। कीमतें आसमान छूने लगी हैं। कोई भी दाल सौ रुपये से कम प्रति किलो नहीं मिल रही है। ऐसे में कोरोना काल में आय के सीमित साधन होने पर महंगाई ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। महंगाई को रोकने के लिए सरकार भी कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है। व्यापारी भी लोगों की मजबूरी का फायदा उठा रहे हैं। इस बारे में कालाबाजारी को रोकना चाहिए, ताकि लोगों को राहत मिल सके।

-------------- लाकडाउन में लोग बेरोजगार हुए

बलवीर सिंह का कहना है कि लाकडाउन के कारण दुकानों, फैक्ट्रियों व अन्य जगहों पर काम करने वाले लोगों की संख्या मालिकों की ओर से कम कर दी गई है। जिस कारण सैकड़ों लोग बेरोजगार हो गए हैं। महामारी के कारण कामकाज कम हो गए हैं। जिससे लोग बेरोजगार हो रहे हैं, पर सरकार की ओर से आम लोगों के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। खाने-पीने की वस्तुओं के भाव आसमान छू रहे हैं। ऐसे में आम जनता को रसोई चलाना मुश्किल हो गया है। सरसों का तेल कुछ महीनों में ही 60-70 रुपये महंगा हो गया है।

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महंगाई ने जीना किया मुश्किल

दविदर कुमार का कहना है कि महंगाई ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। रोजमर्रा की चीजों के दामों में बढ़ोतरी हो रही है। रोटी, कपड़ा और मकान मानव की विशेष जरूरतें हैं। बिजली के बिलों को कहां से आम आदमी भरेगा, जबकि उसे रोटी कमाना भी मुश्किल बना हुआ है। सरसों व रिफाइंड की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो चुकी है। सब्जियां तो महंगी हैं ही, दालों के भाव भी आसमान छू रहे हैं। फलों की तो बात ही छोड़ दें। नींबू तक सौ रुपये किलो बिक रहा है। ऐसे में मेहनतकश मजदूर या आम आदमी क्या खाए और क्या पीए।

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पेट्रोल, डीजल व गैस सभी महंगे

रेशम सिंह का कहना है कि खाने-पीने की चीजों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके साथ पेट्रोल व डीजल की कीमतें भी लगातार बढ़ रही है। इसी तरह गैस सिलेंडर की कीमतें भी बढ़ रही हैं। इन सभी की कीमतों को कम करना चाहिए। यह सरकार की जिम्मेदारी है। अगर कालाबाजारी का दौर ऐसे ही चलता रह,ा तो रोज कमा कर खाने वाले भूखे मर जाएंगे। अगर कोई बीमार हो जाए तो उसे फल भी नसीब नही होता, क्योंकि इसकी कीमतें भी बहुत बढ़ चुकी हैं।


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