नए श्रम कोड श्रमिकों के हितों में नहीं: यूनियन
इंडियन फेडरेशन आफ ट्रेड यूनियंस (आईएफटीयू) की जिला इकाई की ओर से चार श्रम कानूनों के खिलाफ आवाज उठाने की मांग को लेकर विधायक नछतर पाल और विधायक डा. सुखविदर कुमार सुखी को मांगपत्र सौंपे।
जागरण संवाददाता, नवांशहर : इंडियन फेडरेशन आफ ट्रेड यूनियंस (आईएफटीयू) की जिला इकाई की ओर से चार श्रम कानूनों के खिलाफ आवाज उठाने की मांग को लेकर विधायक नछतर पाल और विधायक डा. सुखविदर कुमार सुखी को मांगपत्र सौंपे। मांगपत्र देने वालों में निर्माण राजमिस्त्री मजदूर यूनियन, प्रवासी मजदूर यूनियन, रेहड़ी मजदूर यूनियन और आटो मजदूर संघ के करीब 50 नेता व कार्यकर्ता शामिल थे।
इस दौरान आईएफटीयू के राज्य प्रैस सचिव जसबीर दीप, आटो वर्कर्स यूनियन के पुनीत, प्रवासी मजदूर यूनियन के प्रवीण कुमार निराला, ओम प्रकाश, शिव नंदन, रेहरी वर्कर्स यूनियन के हरिलाल, किशोर कुमार, उसारी मिस्त्री लेबर के आजाद ने अपने विचार व्यक्त किए। यूनियन ने कहा कि केंद्र सरकार विभिन्न सरकारी एजेंसियों द्वारा घोषित चार श्रम कानूनों को लागू करने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि विधायक पंजाब सरकार से इन 4 श्रम कानूनों का विरोध करने के लिए कहें। इस बैठक में मौजूदा 44 श्रम कानूनों में से 29 को निरस्त कर दिया गया है और उन्हें श्रम संहिता के रूप में प्रतिस्थापित किया जा रहा है। मजदूर वर्ग पिछले कई वर्षों से श्रम कानूनों के स्थान पर श्रम संहिता के निर्माण का विरोध कर रहा है। सरकार को लेबर कोड के साथ आगे बढ़ने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मंहगाई, बेरोजगारी अपने चरम पर है, जिसका खामियाजा अंतत: मजदूर वर्ग को भुगतना पड़ता है। भारतीय मजदूर वर्ग के लिए अपने परिवारों का भरण-पोषण करना भी मुश्किल हो गया है। सरकार का दावा है कि चार श्रम कानूनों के लागू होने से जटिलता कम होगी। उनके लागू होने से श्रम निरीक्षक की भूमिका नियोक्ता समर्थक हो जाएगी। इन कानूनों के साथ, फैक्ट्री कानून, निर्माण श्रमिक कानून आदि को समाप्त कर दिया गया है। नए कोड मजदूरों के हड़ताल और संघर्ष के अधिकार पर हमला हैं। पंजाब के श्रम विभाग में कर्मचारियों के पद काफी हद तक खाली हैं, जिसके कारण यहां तक कि मुद्दों से निपटने में भी श्रमिकों को देरी हो रही है। उन्होंने इन रिक्तियों को तुरंत भरने की मांग की। उन्होंने कहा कि आईएफटीयू समझता है कि ये चार श्रम कानून पूरी तरह से मजदूरों के विरोधी और नियोक्ता समर्थक हैं, जिन्हें बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। इसलिए, संगठन चाहता है कि इन चार श्रम कानूनों को रद्द कर दिया जाए और पिछले श्रम कानूनों को लागू किया जाए। इस अवसर पर अशोक कुमार, बबलू सलोह, हरजिदर कुमार, सर्वेश गुप्ता, संतोष, रामचंद्र, रामदेव आदि आईएफटीयू के नेता भी मौजूद थे।