गुरु तेग बहादुर साहिब ने सच्चाई, उसूलों व अपने विश्वास की खातिर सिख धर्म के लिए दी कुर्बानी : डा. कुलजिदर
केसी कालेज आफ एजुकेशन द्वारा कोरोना महामारी के चलते आनलाइन श्री गुरु तेग बहादुर जी का 400वां सालाना प्रकाश पर्व मनाया गया
जागरण संवाददाता, नवांशहर
केसी कालेज आफ एजुकेशन द्वारा कोरोना महामारी के चलते आनलाइन श्री गुरु तेग बहादुर जी का 400वां सालाना प्रकाश पर्व मनाया गया। प्रिसिापल डा. कुलजिदर कौर की देखरेख में विद्यार्थियों ने गुरु जी के जीवन पर भाषण दिया, पोस्टर व लोगो बनाया तथा शब्द गायन किया। सबसे पहले छात्रा रमनप्रीत ने धन गुरु तेग बहादुर जी., तेग बहादुर सिमरिए घर नउ निधि आवै धाए., आदि अनमोल शब्दों का गायन किया। इसके बाद छात्रा अमृता व रविदर ने बताया कि श्री गुरु तेग बहादुर साहिब एक क्रांतिकारी युग पुरुष थे। सिखों के नवम गुरु तेग बहादुर जी का जन्म वैसाख कृष्ण पंचमीं को पंजाब के अमृतसर में हुआ था। उनका बचपन का नाम त्यागमल था तथा उनके पिता का नाम गुरु हरगोबिद सिंह था। वे बाल्यावस्था से ही संत स्वरूप गहन विचारवान, उदार चित्त, बहादुर व निर्भीक स्वभाव के थे। शिक्षा-दीक्षा मीरी-पीरी के मालिक गुरु-पिता गुरु हरिगोबिद साहिब की छत्रछाया में हुई। इन्होंने गुरुबाणी, धर्मग्रंथों के साथ-साथ शस्त्रों तथा घुड़सवारी आदि की शिक्षा प्राप्त की। हरिकृष्ण राय जी (सिखों के 8वें गुरु) की अकाल मृत्यु हो जाने की वजह से गुरु तेग बहादुर जी को गुरु बनाया गया था। मात्र 14 वर्ष की आयु में अपने पिता के साथ मुगलों के हमले के खिलाफ हुए युद्ध में उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया। इस वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया। गुरु तेग बहादुर सिंह जहां भी गए, उनसे प्रेरित होकर लोगों ने न केवल नशे का त्याग किया, बल्कि तंबाकू की खेती भी छोड़ दी। उन्होंने देश को दुष्टों के चंगुल से छुड़ाने के लिए जनमानस में विरोध की भावना भर, कुर्बानियों के लिए तैयार किया और मुगलों के नापाक इरादों को नाकामयाब करते हुए कुर्बान हो गए। गुरु तेग बहादुर सिंह जी द्वारा रचित बाणी के 15 रागों में 116 शब्द (श्लोकों सहित) श्री गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं। सिखों के नौंवें गुरु तेग बहादुर सिंह ने अपने युग के शासन वर्ग की नृशंस एवं मानवता विरोधी नीतियों को कुचलने के लिए बलिदान दिया। कोई ब्रह्मज्ञानी साधक ही इस स्थिति को पा सकता है। गुरु तेग बहादर साहेब ने धर्म की रक्षा और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया और सही अर्थों में 'हिन्द की चादर' कहलाए। गुरु तेग बहादुर सिंह में ईश्वरीय निष्ठा के साथ समता, करुणा, प्रेम, सहानुभूति, त्याग और बलिदान जैसे मानवीय गुण विद्यमान थे। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब ने भौरे बना कर प्रभु का तप किया। आजकल के इंसान को भी समय निकाल कर प्रभु का सिमरन करना चाहिए। प्रिसीपल डा. कुलजिदर कौर ने बताया कि सिखों का इतिहास कुर्बानियों से भरा पड़ा है। भाई मनी सिंह के परिवार में 70 सदस्यों ने शहीदी दी वहीं श्री गुरु तेग बहादुर जी के परिवार में से 27 सदस्यों ने शहीदी दी है। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब ने अपनी सच्चाई, उसूलों व अपने विश्वास की खातिर सिख धर्म के लिए कुर्बानी दी। गुरु जी धर्म परिवर्तन के संत खिलाफ थे। छात्रा अंजू ने गुरु जी का सुंदर पोस्टर बना कर एकता का संदेश दिया। इस मौके पर मोनिका धम्म, अमनप्रीत कौर, दीपशिखा, सिमरन, मनजीत कुमार व विपन कुमार आदि हाजिर रहे।