पॉलीथिन प लगे पूर्ण प्रतिबंध, तभी बचेगा पर्यावरण
देश में हर दिन लाखों टन पॉलीथिन का उत्पादन होता है और इसे रिसाइकल करना बहुत बड़ी समस्या है।
मुकुंद हरि जुल्का, नवांशहर:
देश में हर दिन लाखों टन पॉलीथिन का उत्पादन होता है और इसे रिसाइकल करना बहुत बड़ी समस्या है। पॉलीथिन के लिफाफे लगातार धरती को जहरीला बनाने के साथ-साथ जमीन की उपजाऊ शक्ति को भी खत्म कर रहे हैं। अभी कुछ लोग चोरी छिपे और कुछ लोग सरेआम इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। जानकारों की मानें, तो एक लिफाफे को खत्म करने के लिए हजारों साल लग जाते हैं। हिमाचल में पॉलीथिन पूर्ण तौर से कई सालों से बंद है। प्रदेश सरकार को भी इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। पॉलीथिन रखने वाले दुकानदारो और रेहड़ी वालों के चालान होने चाहिए। इसका प्रयोग पर्यावरण और मानव दोनों के लिए खतरनाक हैं। कभी न नष्ट होने वाला पॉलीथिन भूजल स्तर को प्रभावित कर रहा है। लोगों को खुद दुकानदारों और रेहड़ी वालों से लिफाफे लेने से इंकार करना चाहिए।
अशोक कुमार, व्यावसायी।
सेहत के लिए प्लास्टिक का धुआं बहुत ही खतरनाक है। लोगों को खुद इसका त्याग कर देना चाहिए।बरसाती मौसम में पॉलीथिन सीवरेज को जाम करता है। अगर हम प्लास्टिक को जलाते भी हैं इसका जहरीला धुआं स्वस्थ्य के लिए खतरनाक है।
राजेश ओहरी, दुकानदार।
पॉलीथिन से पर्यावरण को काफी नुकसान होता है। लोगों को यह समझना चाहिए कि यह हमारे लिए जहर है। सब लोग जानते हैं प्लास्टिक का प्रयोग हमारे जीवन के लिए नुकसानदायक है, फिर भी इसका प्रयोग जारी है। धरती को बचाना है तो सरकार और लोगों को इसे रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए।
मोहित कुमार, दुकानदार। कूड़े के ढेर में खाद्य पदार्थ खोजते हुए पशु प्लास्टिक के लिफाफे निगल जाते हैं। लिफाफे उनके पेट में चले जाते हैं और पशु बीमार पड़ जाते हैं। सबको मिलकर इसके लिए कदम उठाना चाहिए।
बहादुर चंद अरोड़ा, समाजसेवक । पॉलीथिन का इस्तेमाल सेहत के लिए बहुत हानिकारक है। इस पर पूर्ण तौर पर लगाम लगा देनी चाहिए। इसलिए लोगों को जागरूक होना पड़ेगा। जब तक यह पूर्ण तौर पर बंद नहीं हो जाता, जो लोग इसका प्रयोग कर रहे हैं, उनको हाथ जोड़कर विनती है कि इसका उपयोग न करें।
सुरजीत सिंह, चेयरमैन, श्री गुरु रामदास सेवा सोसायटी ।