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तीन साल बाद भी नहीं हो सका को-आपरेटिव सोसायटी राहों का चुनाव

दि मल्टीपर्पस को-आपरेटिव सोसायटी के चुनावों को लेकर उस समय स्थिति तनावपूर्ण हो गई जब क-आपरेटिव सोसायटी में अपनी वोटों को लेकर अकाली कांग्रेसी एवं आम लोग आमने सामने दिखाई दिए।

By JagranEdited By: Published: Tue, 26 Oct 2021 10:09 PM (IST)Updated: Tue, 26 Oct 2021 10:09 PM (IST)
तीन साल बाद भी नहीं हो सका को-आपरेटिव सोसायटी राहों का चुनाव
तीन साल बाद भी नहीं हो सका को-आपरेटिव सोसायटी राहों का चुनाव

संवाद सहयोगी, राहों : दि मल्टीपर्पस को-आपरेटिव सोसायटी के चुनावों को लेकर उस समय स्थिति तनावपूर्ण हो गई जब क-आपरेटिव सोसायटी में अपनी वोटों को लेकर अकाली, कांग्रेसी एवं आम लोग आमने सामने दिखाई दिए। इस संबंध में समाज सेवक मलकीत सिंह काहलों ने कहा कि उनका सोसायटी से लेनदन सही ढंग से चल रहा था और वह सोसायटी के हर सभा में भाग लेते थे। इसके बावजूद उनका नाम सोसायटी की वोटर लिस्ट में शामिल नहीं किया गया। उनका ही नहीं बल्कि ज्यादातर वोटरों के नाम इस लिस्ट में नहीं है। उन्होंने कहा कि राहों सोसायटी में करीब 3400 खाताधारक हैं। लेकिन पंजाब सरकार एवं प्रशासन की ओर से राहों सोसाइटी में सिर्फ 170 खाताधारकों को ही वोट डालने की अनुमति प्रदान की गई है। क्योंकि सिर्फ 170 खाताधारकों के नाम ही वोटर लिस्ट में शामिल किए गए हैं। बाकी सभी खाताधारकों से उनका वोट डालने का अधिकार छीन लिया गया है। जिसके चलते लोगों में भारी रोष पाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिनका नाम लिस्ट में नहीं है अब वह क्या करेंगे।

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को-आपरेटिव सोसाइटी के पूर्व प्रधान महेंद्र सिंह संधू ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए बताया कि पंजाब में सरकार भी कांग्रेस की है और नवांशहर का विधायक भी कांग्रेस का ही है। जिससे यह सिद्ध होता है कि सरकार की मिलीभगत से ही यह सब हुआ है। उन्होंने कहा कि हम 170 वोटों से भी चुनाव लड़ने को तैयार हैं। अकाली बसपा उम्मीदवार की जीत निश्चित थी लेकिन बौखलाहट में आए कांग्रेसी अपनी हार देखते हुए अपने ही सरकार पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर रहे थे। महेंद्र सिंह संधू अपनी बात रख ही रहे थे कि तभी कांग्रेस के एक नेता के साथ उनकी कहा सुनी हो गई। जिसे देखते हुए चुनाव अधिकारियों ने पुलिस को फोन कर दिया। लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही चुनाव रिटर्निंग अधिकारी तरुण नंदा और इंस्पेक्टर अर्शदीप सिंह वहां से जा चुके थे। जिसके कारण चुनाव प्रक्रिया को रोककर चुनाव को ही रद कर दिया गया।

इस संबंध में जब सोसाइटी के सचिव दीदार सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें ऊपर से जो निर्देश आए हैं उनके आधार पर ही चुनाव करवाए जा रहे थे। अगर सरकार की ओर से 170 वोटें भेजी गई है, तो वह उसके आधार पर ही काम करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर सुरक्षा कर्मचारी समय पर आ जाते तो चुनाव प्रतिक्रिया भी पूरी हो जाती। कुछ लोग यह कह रहे हैं कि उन्हे चुनाव के बारे में जानकारी नहीं मिली, यह सरासर गलत है।


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