तीन करोड़ का बिजली का बिल भी नहीं चुका पाई डीसीएम इंजीनियरिग प्रोडक्ट
मंदी की वजह से डीसीएम इंजीनियरिग प्रोडक्ट पर ताला लग गया।
राजीव पाठक, नवांशहर : मंदी की वजह से डीसीएम इंजीनियरिग प्रोडक्ट पर ताला लग गया। विदेशों तक अपना कारोबार स्थापित करने वाला कंपनी चार सौ दस करोड़ का सालाना कारोबार करती थी लेकिन इसकी हालत इतनी खराब हुई कि वह तीन करोड़ रुपये का बिजली का बिल तक अदा नहीं कर पाई। पावरकॉम ने कनेक्शन काटा तो उद्योग बंद करना पड़ा और दो हजार कर्मचारी बेरोजगार हो गए। मौजूदा समय में कंपनी की सालाना सालाना क्षमता 72 हजार मीट्रिक टन कर दिया गया था लेकिन कंपनी की स्थिति ऐसी हो गई थी कि पिछले तीन सालों से प्लांट को किसी तरह से चलाया जा रहा था। प्लांट की इस हालात के लिए ऑटो सेक्टर में आई मंदी को बताया जा रहा है। कंपनी को आर्डर मिलना बंद हो गए थे। दस सालों से यह कंपनी अपने प्रोडक्ट का बड़े पैमाने पर निर्यात कर रही थी। विदेश में जनरल मोटर्स व परकिस कंपनियों को यहां प्रोडक्ट्स सप्लाई होते थे। इस उद्योग में 90 फीसद रोजगार स्थानीय लोगों को उपलब्ध करवाया गया था। 1977 में लगा था ग्रे आयरन का प्लांट
डीसीएम ग्रुप ने आसरों में ग्रे आयरन का प्लांट 1977 में लगाया गया था। उस समय इंडस्ट्री की क्षमता सालाना क्षमता 17 हजार मीट्रिक टन की थी। बेहतरीन तकनीक की वजह से यह इंडस्ट्री देश व दुनिया की प्रमुख कार, लाइट व हैवी वाहनों के इंजन के पार्ट्स बनाने की प्रमुख कंपनी बन गई थी। देश में आर्थिक सुधार होने के बाद जब ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में विदेशी निवेश आया तो कंपनी ने साल 1994-95 में अपनी उत्पादन क्षमता को 17 हजार मीट्रिक टन प्रति वर्ष से बढ़ा कर दो गुना करते हुए 35 हजार मीट्रिक टन सालाना कर लिया। इसके दस सालों बाद साल 204-05 में कंपनी ने अपनी उत्पादन क्षमता को फिर से बढ़ाया और इसे 50 हजार मीट्रिक टन सालाना किया गया। एलसीवी व एचसीवी के सामान के लिए थी सबसे बेस्ट
डीएसएम इंजीनियरिग प्रोडक्ट को कार, लाइट कमर्शियल व्हीकल (एलसीवी), हैवी कमर्शियल व्हीकल (एचसीवी) के सिलेंडर ब्लाक्स, ट्रैक्टर के गियर हौजिग व ट्रांसमिशन केस, सिलेंडर हैड व बेड प्लेट्स बनाने में महारत हासिल थी। कंपनी सवारी गाड़ियों के साथ-साथ यूटीलिटी व्हीकल, ट्रैक्टर्स, कमर्शियल व्हीकल, कंस्ट्रक्शन इक्यूपमेंट व जेनसेट के लिए कास्टिग करती थी। यह कंपनी देश के प्रमुख ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री से जुड़ी थी। इसमें मारुति सूजुकी, हुंडई, महिद्रा एंड महिद्रा ट्रैक्टर्स, अशोक लीलैंड, वोल्वो आयशर कमर्शियल व्हीकल, किर्लोस्कर ऑयल इंजन, मैन ट्रक्स सहित तमाम कंपनियां हैं, जिनके इंजन के पार्ट्स की कास्टिग यहां से होती थी।
29 सितंबर से काम हो गया था बंद
कंसल्टेंट अनिल कौशिक ने बताया कि उद्योग की स्थिति खराब चल रही थी। 29 सितंबर से ही एक तरह से काम लगभग बंद हो गया था। बिजली का कनेक्शन कटने के बाद यहां तालाबंदी कर दी गई।