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भागवत कथा के श्रवण से होता है पापों का नाश : साध्वी कालिदी

नवांशहर दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा नवांशहर के चंडीगढ़ रोड पर दशहरा ग्राउंड में 31 मार्च से 6 अप्रैल सायं सात बजे से रात्रि 10 बजे तक आयोजित की जा रही श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के शुरुआत में पहले दिन साध्वी सुश्री कालिदी भारती ने श्रीमद्भागवत कथा की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानव जाति तक पहुंचता रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 12:13 AM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 06:30 AM (IST)
भागवत कथा के श्रवण से होता है पापों का नाश : साध्वी कालिदी
भागवत कथा के श्रवण से होता है पापों का नाश : साध्वी कालिदी

जेएनएन, नवांशहर : दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा नवांशहर के चंडीगढ़ रोड पर दशहरा ग्राउंड में 31 मार्च से 6 अप्रैल सायं सात बजे से रात्रि 10 बजे तक आयोजित की जा रही श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह ज्ञान यज्ञ के शुरुआत में पहले दिन साध्वी सुश्री कालिदी भारती ने श्रीमद्भागवत कथा की महत्ता बताई। उन्होंने कहा कि वेदों का सार युगों-युगों से मानव जाति तक पहुंचता रहा है। भागवत महापुराण यह उसी सनातन ज्ञान की पयसिवनी है जो वेदों से प्रवाहित होती चली आ रही है। इसीलिए भागवत महापुराण को वेदों का सार कहा गया है। साध्वी ने बताया कि श्रीमद्भागवत अथरत जो श्री से युक्त है, श्री अर्थात् चैतन्य, सौन्दर्य, एश्वर्य। भाव कि वो वाणी, वह कथा जो हमारे जड़वत जीवन में चैतन्यता का संचार करती है। जो हमारे जीवन को सुन्दर बनाती है वह श्रीमद्भागवत कथा है जो सिर्फ मृत्युलोक में संभव है।

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साध्वी ने कथा सुनाते हुए बताया कि यह एक ऐसी अमृत कथा है जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। इसलिए परीक्षित ने स्वर्गमृत की बजाय कथामृत की ही मांग की। इस स्वर्गामृत का पान करने से पुण्यों का तो क्षय होता है पापों का नहीं। किन्तु कथामृत का पान करने से संपूर्ण पापों का नाश हो जाता है।

कथा के दौरान उन्होंने वृन्दावन का अर्थ बताते हुए कहा कि वृन्दावन इंसान का मन है। कभी-कभी इंसान के मन में भक्ति जागृत होती है परन्तु वह जागृति स्थाई नहीं होती। इसका कारण यह है कि हम ईश्वर की भक्ति तो करते हैं पर हमारे अंदर वैराग्य व प्रेम नहीं होता है। व्यास जी कहते हैं कि भागवत कथा एक कल्पवृक्ष की भांति है जो जिस भाव से कथा श्रवण करता है, वह उसे मनोवांछित फल देती है और यह निर्णय हमारे हाथों में है कि हम संसार की मांग करते हैं या करतार की।

अगर भक्ति चाहिए तो भक्ति मिलेगी, मुक्ति चाहिए तो मुक्ति मिलेगी। परीक्षित प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने बताया कि यह मानव देह कल्याणकारी है जो हमें ईश्वर से मिलाती है। यह मिलन ही उत्थान है। राजा परीक्षित जीवात्मा का प्रतीक है, जिसका लक्ष्य मोह, आसक्ति के बंधनों को तोड़, उस परम तत्व से मिलना है। यूं तो ऐसी कई गाथाएं, कथाएं हम अनेक व्रत व त्योहारों पर भी श्रवण करते हैं, लेकिन कथा का श्रवण करने या पढ़ने मात्र से कल्याण नहीं होता। इस अवसर पर एडवोकेट जेके दत्ता, संतोष शमर, विशाल शमर, गुरविद्र, मोनिका शमर, अशोक चोपड़ा, अनिल लडोइया, अनु लडोइया, शकुन्तला अरोड़ा, कर्ण अनेजा, सुनील पुरी, राजन अरोड़ा, विकास अरोडा, सुमन अरोड़ा, गुरचरण अरोड़ा, स्वामी ऋषिराज, अरविद प्रकाश, तहसीलदार, प्रदीप आनंद, डॉ. सुमन सूदन, शालिनी सूदन, अश्वनी, नीलम, पंकज कपूर, मोनिका कपूर, बलवंत राय, एडवोकेट डीडी भल्ला, संजीव दुग्गल, पंडित अंबा दत्ता, ने ज्योति प्रज्जवलन की रस्म अदा की।


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