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खेतों में लगाने के लिए नहीं मिली कंटीली तार, किसान बने चौकीदार

कंडी क्षेत्र के रहने वाले किसानों की हर साल करीब 33 एकड़ में लगाई गई फसल को जंगली जानवर बर्बाद कर रहे हैं। हालांकि फसलों को बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने एक पायलट योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत हर किसान को उसके खेतों के लिए कंटीली तार मुहैया करवाई जानी थी पर फंड न आने के कारण यह योजना दम तोड़ रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 29 Aug 2020 06:25 PM (IST)Updated: Sun, 30 Aug 2020 06:11 AM (IST)
खेतों में लगाने के लिए नहीं मिली कंटीली तार, किसान बने चौकीदार
खेतों में लगाने के लिए नहीं मिली कंटीली तार, किसान बने चौकीदार

सतीश शर्मा, काठगढ़ : कंडी क्षेत्र के रहने वाले किसानों की हर साल करीब 33 एकड़ में लगाई गई फसल को जंगली जानवर बर्बाद कर रहे हैं। हालांकि फसलों को बचाने के लिए प्रदेश सरकार ने एक पायलट योजना शुरू की थी। इस योजना के तहत हर किसान को उसके खेतों के लिए कंटीली तार मुहैया करवाई जानी थी पर फंड न आने के कारण यह योजना दम तोड़ रही है। यह योजना उन किसानों के लिए है जिनकी जमीन दफा चार के अंदर है। योजना के तहत कंटीली तार न मिलने से किसानों को फसलों को बचाने के लिए रात को खेतों में झोपड़ी डालकर पहरा देना पड़ता है, ताकि जानवर उनकी फसल का नुक्सान न कर सकें।

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इस योजना के तहत दफा चार में जमीन आने वाले किसानों को कंटीली तार व सीमेंट और लकड़ी के पोल सरकार की ओर से मुहैया करवाए जाते हैं। ढाई एकड़ तक की जमीन वाले किसानों को 400 मीटर की कंटीली तारों का जाल, पांच एकड़ तक की जमीन के मालिक को 600 मीटर व 10 एकड़ की जमीन से ज्यादा के किसान को 2000 मीटर कंटीली तारें दी जाती है। वहीं सीमेंट के पोल के लिए प्रति पोल 175 रुपये व लकड़ी के पोल के लिए 125 रुपये दिए जाते हैं। कई किसानों ने बंद कर दिया खेती का धंधा

जंगली जानवरों की ओर से फसल की बर्बादी के कारण 90 फीसदी से ज्यादा किसानों ने खेती करना ही बंद कर दिया। यह वो किसान हैं जिनके खेत शिवालिक की पहाड़ियों के बिल्कुल साथ सटे हुए हैं। इनमें से ज्यादातर लोग प्रदेश के बाहर जाकर काटन की मिलों में काम कर रहे हैं या फिर कहीं और नौकरी करके अपने परिवार का पेट पाल रहे हैं।

किसान राम लुभाया, जागीर राम, कश्मीरी राम ने मांग की है कि अगर कंडी नहर योजना को चालू किया जाए तो वो जंगली जानवरों की ओर से किए जा रहे उजाड़े से बच सकते हैं। अगर पहाड़ियों के साथ साथ नहर बन जाए तो जंगली जानवर उनके खेतों तक नही आ पाएंगे। 600 करोड़ रुपये इस योजना पर खर्च किए गए हैं पर अभी तक यह नही बन पाई है।

बाक्स के लिए-

वन रेंज सर्किल काठगढ़ में 97 किसान को मिला योजना का लाभ

वन रेंज सर्किल काठगढ़ में 97 लोग लाभ ले चुके हैं। 400 लोगों के विनय पत्र अभी लाइन में लगे हुए हैं। इस रेंज के अंदर केवल 20 गांव पड़ते हैं, जो कि दफा चार में आते हैं। परंतु अभी इस योजना का काम रुका हुआ है। वन रेंज सर्किल बलाचौर में केवल 21 गांव इस योजना के तहत आ रहे हैं। जो दफा चार में शामिल हैं। वहां पर भी विनय पत्र काफी आ चुके हैं। वहां पर भी लाभ किसान सौ से ज्यादा ले चुके हैं। फंड न मिलने से रुका योजना का काम

वन रेंज सर्किल काठगढ़ के अधिकारी रघवीर सिंह ने बताया कि अभी योजना का काम रुका हुआ है। सरकार की तरफ से फंड अभी नहीं आ रहा है। वैसे इस पूरे क्षेत्र में दोनों रेंज पड़ती है। लगभग दोनों में 41 गांव को लाभ मिलेगा, परन्तु गांव जहां पर 235 के करीब किसान हैं, बाकी किसान इस योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।


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