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जरूरतमंदों के लिए वरदान से कम नहीं स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम, 9000 बच्चों की फ्री जांच

सरकार के स्कूल स्वास्थ्य प्रोग्राम के तहत अब तक सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले 9000 बचों की जांच की जा चुकी है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 11 Jan 2020 06:45 PM (IST)Updated: Sat, 11 Jan 2020 06:45 PM (IST)
जरूरतमंदों के लिए वरदान से कम नहीं स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम, 9000 बच्चों की फ्री जांच
जरूरतमंदों के लिए वरदान से कम नहीं स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम, 9000 बच्चों की फ्री जांच

जेएनएन,नवांशहर : सरकार के स्कूल स्वास्थ्य प्रोग्राम के तहत अब तक सरकारी स्कूलों और आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले 9000 बच्चों की जांच की जा चुकी है। सिविल सर्जन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद भाटिया और जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ.दविदर ढांडा के नेतृत्व में जिले में मेडिकल टीमें काम कर रही हैं और सरकार की यह योजना बेहतर साबित हो रही है। मेडिकल टीमें साल में कम से कम एक बार हर स्कूल और दो बार आंगनवाड़ी केंद्रों में जाकर बच्चों की शारीरिक जांच करती है। जरूरत पड़ने पर टीम इलाज के लिए विशेषज्ञ डाक्टरों, बड़े अस्पतालों व सर्जरी के लिए रेफर करती है। नवांशहर में तैनात आरबीएसके टीम के सदस्य डॉक्टर विजय और डॉक्टर सोनिया ने बताया कि अब तक तीन बच्चों की दिल की बीमारियों का पीजीआई चंडीगढ़ से सफलतापूर्वक इलाज करवाया जा चुका है। इसी तरह पांच अन्य बच्चों को कटे होंठ की प्लास्टिक सर्जरी की गई। इसके अलावा रीढ़ की हड्डी पर बने घाव की सफल सर्जरी, मोतियाबिद के और अन्य रोगों के ऑपरेशन भी करवाएं गए हैं।

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जरूरत पड़ने पर रेफर किए जाते हैं बच्चे

डॉक्टर विजय ने बताया कि दिल की इन बीमारियों की सर्जरी अगर बाहर से करवानी पड़े तो तीन से चार लाख रुपय खर्च आता है, लेकिन पीजीआई जैसी बड़ी संस्था से राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत इन रोगों का मुफ्त इलाज किया जाता है। जरूरतमंदों परिवारों के लिए ऐसे कार्यक्रम किसी वरदान से कम नहीं हैं। उन्होंने बताया कि स्कूल स्वास्थ्य जांच कार्यक्रम के तहत 30 बीमारियों का निरीक्षण किया जाता है। इसके बाद जरूरत के मुताबिक बच्चे को पहले सिविल उसके बाद आगे के इलाज के लिए बड़े भेजा जाता है।

जीवन भर के लिए अपंग हो सकता अर्शदीप

डॉक्टर विजय ने बताया कि राहों के अर्शदीप को बचपन से ही रीढ़ की हड्डी की बीमारी से जूझना पड़ रहा था और मेडिकल टीम ने ही उसका इलाज करवाया है। उन्होंने बताया कि 2017 में तीन महीने के इस बच्चे का अगर समय पर इलाज नहीं मिलता तो वह जीवन भर के लिए अपंग हो सकता था। आरबीएसके टीम ने आंगनबाड़ी में स्वास्थ्य जांच के दौरान जब यह समस्या देखी तो उसे तुरंत पीजीआइ रेफर किया। इसके बाद बच्चा बिल्कुल अच्छी जिदगी जी रहा है।

मजारा खुर्द के नौ माह के बच्चे की होंठ की सर्जरी हुई

ऐसे ही गांव मजारा खुर्द का एक बच्चा था। उसके जन्म से ही होंठ कटे थे, जिससे उसका चेहरा असाधारण लगता था। नौ माह की उम्र में ही उसकी सर्जरी करवाई गई। आज उसके मुंह पर प्लास्टिक सर्जरी का कोई निशान नहीं है। नवांशहर की बच्ची नैंसी को बचपन से ही सांस लेने की तकलीफ थी। टीम ने जांच की तो उसके दिल में छेद निकली। करीब चार साल पहले चार साल की उम्र में उसकी पीजीआइ से हुई सर्जरी के बाद अब वह स्वस्थ है। दिल की बीमारियों की सर्जरी करवाने वाले अन्य बच्चों में सरकारी स्कूल किला मोहल्ला का राजबीर, सरकारी प्राइमरी स्कूल बस्ती इब्राहिम का चनप्रीत भी सफल सर्जरी का लाभ ले चुका है।


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