योग के पांच नियम अपनाएं, जीवन भर सुख पाएं
आर्ट ऑफ लिविग द्वारा रविवार को रोटरी भवन में साप्ताहिक फॉलोअप किया गया जिसमें सभी साधकों को योग प्राणायाम ध्यान और सुदर्शन क्रिया करवाई गई।
जेएनएन, नवांशहर : आर्ट ऑफ लिविग द्वारा रविवार को रोटरी भवन में साप्ताहिक फॉलोअप किया गया, जिसमें सभी साधकों को योग प्राणायाम, ध्यान और सुदर्शन क्रिया करवाई गई। इस मौके पर योग के पांच नियमों के बारे में भी बताया गया, जिसमें सबसे पहला नियम सोच है-सोच से हमारा मतलब हमारे शरीर की अंदरूनी स्वच्छता को बनाए रखने से है। इससे हमारा शरीर पवित्र बना रहता है। दूसरा नियम संतोष-संतोष का मतलब मन की संतुष्टि जो हमारे दिमाग व शरीर को किसी चीज के हासिल होने से होती है। यानी हमें ज्यादा चीजों की मांग न करके कम चीजो में ही संतुष्टि होनी चाहिए। संतुष्टि मिलने से हमे शाति मिलती है और दुखों का नाश होता है। तीसरा नियम है तप-योग में तप का मतलब हमारे दिमाग से है, जो हमें तब करना पड़ता है जब हमें अपने दिमाग को शाति प्रदान करनी होती है। चौथा नियम है स्वाध्याय -यह शब्द एक प्रकार का शांति शब्द है जो सत्संग से मिलता है। यदि हम सत्संग सुनते है तो हमारी बहुत सी समस्याएं दूर हो जाती है। ऐसा करने से हमारे मन और मस्तिष्क को शांति प्रदान होती है। इसी से हमें संस्कारों की भी प्राप्ति होती है और हमारे मन और मस्तिष्क में आस्था भी जागृत होती है। पांचवा नियम है ईश्वर प्रणिधान-योग में ईश्वर को सर्वप्रथम माना गया है। पतंजलि योग शास्त्र में भी ईश्वर को सर्वप्रथम गुरु माना गया है। पतंजलि में कहा गया है कि हमें अपना सब कुछ ईश्वर को समर्पित कर देना चाहिए। इस अवसर पर मनोज जगपाल, सुरभि जगपाल, हैप्पी खन्ना, भारत भूषण, कार्तिक मल्होत्रा, विभोर जैन आदि लोग उपस्थित थे।