पैसे जमा करने के बाद बकाया दिखाया, बैंक पर 13 हजार रुपये का जुर्माना
जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम ने उपभोक्ता के सिविल रिपोर्ट में अदा कर दी गई रकम को बकाया दिखाने पर बैंक आफ बड़ौदा पर 13 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
जासं, नवांशहर : जिला उपभोक्ता शिकायत निवारण फोरम ने उपभोक्ता के सिविल रिपोर्ट में अदा कर दी गई रकम को बकाया दिखाने पर बैंक आफ बड़ौदा पर 13 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। इसमें 10 हजार रुपये परेशानी के लिए व 3 हजार रुपये कानूनी खर्च के रूप में अदा करने का निर्देश दिया है। गांव जाडला निवासी अश्वनी कुमार राणा ने फोरम को दी गई शिकायत में बताया है कि उन्होंने बैंक आफ बड़ौदा से किसान क्रेडिट कार्ड पर दो लाख 50 हजार रुपये लोन लिया था। उन्होंने लोन समय पर चुका दिया। साल 2017 में उन्होंने मोहाली में एक फ्लैट खरीदा। उन्होंने स्टेट बैंक आफ इंडिया में 20 लाख रुपये का हाउसिग लोन अप्लाई किया। बैंक ने उक्त लोन को रिजेक्ट कर दिया। बैंक ने बताया कि उन पर 56342 रुपये बकाया है। उन्हें लोन नहीं दिया जा सकता है। बैंक मैनेजर से मिलने के बाद उन्होंने कहा कि उनकी रिपोर्ट को जल्दी अपडेट कर दिया जाएगा। दो महीने बाद उन्होंने नवांशहर के एक बैंक में 15 लाख रुपये का बिजनेस लोन अप्लाई किया। यह लोन भी बैंक ने यह कहकर मना कर दिया कि बैंक आफ बड़ौदा में बकाया खड़ा है। इससे वह परेशान हो गए। उन्होंने 100 रुपये खर्च कर सीबिल रिपोर्ट भी मंगवाई, लेकिन बैंक की ओर से 56342 रुपये बकाया खड़ा दिखा रहा था। उन्होंने कार व स्कूटर खरीदने के लिए लोन लेने की कोशिश की तो उस मामले को भी रिजेक्ट कर दिया गया। वे इस मामले को लेकर कई बार बैंक अधिकारियों से मिले, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हुई। दो सालों से अदा किए गए लोन की रकम उनके नाम पर बकाया खड़ी है। उन्होंने अदालत से उन्हें अब तक हुई परेशानी व सेवा में कमी के एवज में आठ से दस लाख रुपये का मुआवजा दिलवाने की मांग की।
दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने बैंक को उपभोक्ता को हुई परेशान के लिए 10 हजार रुपये का मुआवजा व 3 हजार रुपये कानूनी खर्च के रूप में अदा करने का निर्देश दिया। अदालत ने इन आदेशों को 30 दिनों में लागू करने के निर्देश दिए।
आरोप केवल परेशान करने के लिए लगाए गए है : बैंक प्रतिनिधि
बैंक के प्रतिनिधि ने कहा कि शिकायत कर्ता के आरोप लगते हैं। उसने फोरम को धोखा देने के लिए यह बातें कहीं हैं। यह आरोप केवल परेशान करने के लिए लगाए गए हैं। बैंक की ओर से सीबिल रिपोर्ट को अपडेट करने के लिए मेल लिख दिया गया था। उसे अपडेट कर दिया गया है।