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अच्छे आचरण से व्यक्ति बनता है श्रेष्ठ

श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि महाराज ने श्री राम भवन में चल रहे श्रीमद् भगवत गीता प्रवचन कार्यक्रम दौरान कहा कि मनुष्य शरीर माटी का खिलौना है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Nov 2018 03:32 PM (IST)Updated: Mon, 19 Nov 2018 03:32 PM (IST)
अच्छे आचरण से व्यक्ति बनता है श्रेष्ठ
अच्छे आचरण से व्यक्ति बनता है श्रेष्ठ

जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब : श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि महाराज ने श्री राम भवन में चल रहे श्रीमद् भगवत गीता प्रवचन कार्यक्रम दौरान कहा कि मनुष्य शरीर माटी का खिलौना है। मानव तन बड़ी खुशकिस्मती के बाद ही मिलता है। इसलिए मानव तन पाकर प्रभु सिमरन जरुर करें। सदा याद रखें कि मनुष्य तन परमात्मा की देन है। ये तन कब छिन जाए, कोई कुछ नहीं कह सकता। जिस तरह सड़क जब नई-नई बनी होती है तो बहुत सुंदर नजर आती है। उस पर दौडने वाले वाहन भी तेजी से दौड़ते हैं। परंतु वही सड़क जब खस्ता हालत और पुरानी हो जाती है, उसमें गड्ढे पड़ जाते हैं तो वाहनों की रफ्तार भी सड़क का साथ छोड़ जाती है। अर्थात वाहनों की रफ्तार कम हो जाती है। ऐसे में अंत समय में प्रभु सिमरन की शक्ति ही काम आती है। स्वामी कमलानंद जी महाराज ने कहा कि जैसे फूलों की शोभा खुशबू से, बादलों की शोभा बरसात से है उसी तरह शरीर की शोभा सिर्फ प्राणों से है। जिस दिन प्राण निकल गए उस दिन शरीर खत्म हुआ समझो। इसलिए परमात्मा ने जब तक स्वांस दी है तब तक स्वांसों से प्रभु सिमरन व जप करते रहें। मानव जीवन को अच्छे कामों में लगाएं। जैसे रसोई में अचानक गैस सिलेंडर खत्म हो जाए तो गैस नहीं चलती। वैसे ही एक दिन अचानक ही शरीर से प्राण निकल जाएंगे उस समय ये शरीर किसी काम का नहीं रहेगा। इसलिए शरीर में प्राणों रुपी गैस हमेशा भरी रखने के लिए ये जरुरी है कि उस परमात्मा की भजन-बंदगी करते रहें जिसने ये प्राण दिए हैं। वर्ना क्या भरोसा कब प्राण निकल जाएं। मनुष्य को परमात्मा की रजा में राजी रहना चाहिए। परमात्मा ने जो कुछ दिया है हमेशा उसी में संतुष्ट रहना चाहिए। सुख-दु:ख दोनों ही परिस्थितयों में मुस्कुराना सीखना चाहिए। जो भक्त परमात्मा की रजा में राजी रहता है, वह हमेशा खुश रहता है। स्वामी जी ने कहा कि जैसे चक्की जब चलती है तो उसमें सब कुछ पिस जाता है। मगर चक्की के बीच जो नुकीली कील होती है, उसके साथ घुस जाने वाला गेहूं का दाना सुरक्षित बचा रहता है। कुछ इसी तरह अगर मनुष्य अपना जीवन सुरक्षित करना चाहता है तो उसे अपने हाथों की डोर को प्रभु को सौंप देना होगा। जब अपना जीवन प्रभु को समर्पित कर देंगे तो प्रभु खुद उसकी रक्षा करेंगे।

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क्रोध, लोभ, मोह मनुष्य के लिए विनाशकारी है

स्वामी कमलानंद जी महाराज ने फरमाया कि मनुष्य अपने कर्तव्यों को भूलकर मानवीय गुणों को खोता जा रहा है। उसके आचरण ने उसे नीचे गिरा दिया है। बोलने की अपेक्षा आचरण का अधिक महत्व है। आचरण से ही व्यक्ति श्रेष्ठ बनता है। आचरण से ही व्यक्ति दूसरों की नजरों में गिरता है। इसलिए आचरण अच्छा बनाएं। कहना सरल होता है, लेकिन करना मुश्किल। आज संसार में उपदेश देने वालों की कमी नहीं है मगर उन विचारों का आचरण करने वालों का अभाव हो रहा है। मनुष्य को हमेशा वो ही बात कहनी चाहिए, जिन बातों पर वह खुद अमल कर सकता हो। काम, क्रोध, लोभ, मोह मनुष्य के लिए विनाशकारी होते हैं। इसलिए मनुष्य को इनसे बचना चाहिए। जो व्यक्ति इन चीजों के वशीभूत न होकर इनसे दूरी बनाए रखने में सफलता हासिल कर ले समझो उससे बड़ा क्षत्रिय कोई नहीं है। जो धर्म की शरण में जाता है उसी का बचाव संभव है। धर्म ही पापों के समुद्र से तारता है। धर्म की नजर में कोई ¨हदू नहीं, कोई मुसलमान नहीं, कोई सिख नहीं और कोई इसाई नहीं। धर्म तो सभी में एक ही ज्योति दिखाता है। संत हो या महापुरुष या कोई गुरु सभी का लक्ष्य एक ही रहा है सिर्फ परमार्थ। श्री राम, श्री कृष्ण, गुरु नानक देव जी, गुरु गो¨बद ¨सह जी सभी धर्म की रक्षा और दूसरे पर उपकार करने को अवतरित हुए थे। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे।


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