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जिदगी है हंसने का नाम : प्रदीप रश्मि

प्रदीप रश्मि ने एसएस जैन सभा मलोट में श्रद्धालुओं से कहा भगवान मिलते हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 04:12 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 05:22 PM (IST)
जिदगी है हंसने का नाम : प्रदीप रश्मि
जिदगी है हंसने का नाम : प्रदीप रश्मि

संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब)

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प्रदीप रश्मि ने एसएस जैन सभा मलोट में श्रद्धालुओं से कहा भगवान ने जब इंसान को धरती पर भेजा तो उन्होंने कहा कि जा बेटा मैं तुम्हें ऐसे लोक में भेज रहा हूं यहां पर सुख-दुख मान अपमान लाभ हानि द्वन्दों का तुम्हें पग-पग पर सामना करना पड़ेगा। उसका सामना करने के लिए मैं साथ ही तुम्हें एक वरदान दे रहा हूं और वह वरदान है हंसते मुस्कुराते रहने का। तुम इस वरदान का सदुपयोग करना। कैसी भी दुख पीड़ा कष्ट आए हंसते मुस्कुराते रहने से वह सारी पीड़ा स्वत: ही दूर हो जाएगी। लेकिन धरती पर आकर इंसान ने परमात्मा के इस वरदान का कोई लाभ नहीं उठाया। यह वरदान केवल इंसान को मिला है। यह वरदान पशु पक्षियों को नहीं मिला है। यह इंसान का सौभाग्य है। आज इंसान ने मिले हुए इस वरदान को भूला दिया, इसलिए पीड़ा दुख चिता ने उसको अपनी गिरफ्त में ले लिया है। आज का इंसान हंसना भूल गया। उन्होंने कहा -कैसा भी संकट पीड़ा कष्ट आए बस मुस्कुराते रहें। हंसते मुस्कुराते रहने वाले व्यक्ति के व्यक्तित्व में गजब का आकर्षण होता है सब लोग उसके पास बैठना पसंद करते हैं। दुखी के पास कोई भी बैठना पसंद नहीं करता है। जब साधारण लोग दुखी के पास बैठना पसंद नहीं करते हैं तो परमात्मा भी दुखी के पास रहना कैसे पसंद करेंगे । इसीलिए तो दुखी व्यक्ति और धर्म का दूर-दूर का कोई रिश्ता नहीं है। गमगीन व्यक्तित्व को ही महावीर ने आर्त ध्यानी यानि अधार्मिक कहा है। महावीर कहते हैं पीड़ा में हंसने मुस्कुराने वाले व्यक्ति ही धर्म ध्यानी होते हैं। राम कृष्ण बुद्ध महावीर ऐसे महापुरुष हुए हैं जो पीड़ा में भी हंसते मुस्कुराते रहे हैं। यही कारण है कि वह पीड़ा के विजेता बनकर भगवान बन गए। हंसना एक रामबाण औषधि है। हंसने से तन-मन स्वस्थ रहते हैं इसलिए खूब हंसे और स्वस्थ रहें।

इस अवसर पर एसएस जैन सभा के अध्यक्ष प्रवीन जैन कोषाध्यक्ष, रमेश जैन, बिहारी लाल जैन, सुभाष जैन, राजन जैन, कमल जैन, दर्शन जैन, विजय कुमार जैन, लाली गगनेजा हरमेश कुमार, सुनील गर्ग सहित अनेक लोग उपस्थित थे।


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