संत समागम से प्राप्त होती है सद्बुद्धि : प्रदीप रश्मि
सच्चा संत वह होता है जो अपने मन इंद्रियों पर संयम साध ले।
संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब) सच्चा संत वह होता है जो अपने मन इंद्रियों पर संयम साध लेता है। जो हर प्रकार के बाह्य व आभ्यंतर संयोग का परित्याग कर देता है। जो मस्त मौला होता है। जिसे मान अपमान निदा प्रशंसा विचलित नहीं करती हैं। जिसे अपने नाम यश प्रतिष्ठा की भूख नहीं होती है, जो सीधा शांत सरल विनम्र होता है। केवल कपड़े पहन लेने से कोई संत नहीं होता हैं, आचरण से संत होता है। ऐसे सच्चे संत का समागम दुर्लभ होता है। वेशधारी संत बहुत होते हैं। भोले-भाले लोग वेशधारी के चक्कर में फंस कर लूट जाते हैं। यह विचार प्रदीप रश्मि ने एसएस जैन सभा मलोट के प्रांगण में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहे।
उन्होंने कहा जो सत्य के साथ जुड़ता है वही संत होता है। संत का समागम प्राप्त होना बड़ा सौभाग्य है। संत समागम से सद्बुद्धि प्राप्त होती है। नारद का समागम पाकर वाल्मीकि महान संत हो गए। यह संत समागम का प्रभाव होता है। संत का समागम त्याग की संयम की प्रेरणा देता है व जीवन में पवित्रता लाता है। जैन धर्म में जो तीर्थंकर हुए हैं ऋषभदेव, भगवान महावीर आदि उनके तीर्थंकर बनने की नींव संत समागम से ही पड़ी थी। इसलिए कहा जाता है कि पूण्यवान को संत समागम प्राप्त होता है। संत समागम से यह लोक और परलोक दोनों को सुखी बनाने का मार्गदर्शन प्राप्त होता है।
एसएस जैन सभा के प्रधान प्रवीण जैन ने बताया कि शनिवार से जैन धर्म के सबसे बड़े पर्व प्रारंभ हो रहे हैं जिसे महासाध्वी जी के चरणों में तप त्याग पूर्वक मनाया जाएगा।