नशा जिंदगी का करता है नाश : प्रदीप रश्मि
वही जीवन उत्तम होता है जो व्यसन मुक्त होता है।
संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब) वही जीवन उत्तम होता है जो व्यसन मुक्त होता है। व्यसन मुक्त जीवन का यह लोक भी सुखी होता है और परलोक भी। नशा जीवन की दिशा को विदिशा में बदल देता है। नशा मौत है आज स्वयं कि कल परिवार के परसों देश और राष्ट्र की। नशे के कारण आज की युवा पीढ़ी मानसिक विकृतियों का शिकार हो रही है। नशा तामसिक होता है। नशा मन में तमस की वृद्धि करता है और सात्विकता को नष्ट करता है। नशा व्यक्ति को बेहोश करता है और बेहोश व्यक्ति ही पाप करता है अपराध करता है। यह विचार पंजाब सिंहनी प्रदीप रश्मि ने एसएस जैन सभा के प्रांगण में श्रद्धालुओं से कहे।
उन्होंने कहा संस्कृत में व्यसन का अर्थ है कष्ट। अर्थात जिन वृत्तियों से हमें कष्ट होता है उसे व्यसन कहते हैं। व्यसन का मतलब है जिसे तुम छोड़ना चाहते हो फिर भी छोड़ नहीं पाते। वैदिक ग्रंथों में व्यसनों की संख्या 18 बताई गई है। कामज व्यसन है-शिकार, जुआ, दिन का सोना, परनिदा, पर स्त्री गमन ,मद, नृत्य सभा, गीत सभा, वाद्य की महफिल,व्यर्थ भटकना। आठ क्रोधज है चुगली करना, अति साहस करना, द्रोह करना, ईष्र्या, असूया, अर्थ दोष, वाणी से दंड और कठोर वचन। जैनाचार्यों ने सात प्रकार के व्यसनों का वर्णन किया है -जुआ, मांसाहार, शराब, वेश्यागमन, शिकार, चोरी, पर स्त्री गमन। आधुनिक युग में अश्लील चलचित्र कामोत्तेजक साहित्य, बीड़ी, सिगरेट भी व्यसनों में गिने गए।
व्यक्ति को जब इनकी आदत हो जाती है तो वह घंटों इसमें बर्बाद कर देता है। आप बहुत सोचते हो कि कल सुबह मोबाइल वाट्सएप को हाथ नहीं लगाऊंगा लेकिन सुबह आंख खुलते ही सबसे पहले मोबाइल देखते हो। व्यसन को लत भी कहा जाता है। लत दो प्रकार की होती है। एक अच्छी लत और एक बुरी लत। अच्छी लत लग जाए तो जीवन ऊंचाई पर पहुंचता है और बुरी लत लग जाए तो जीवन पतन की राह पर चला जाता है।
इस अवसर पर एसएस जैन सभा के अध्यक्ष प्रवीण कुमार, जैन कोषाध्यक्ष, रमेश कुमार जैन, बिहारी लाल जैन, धर्मवीर जैन, राजन जैन, विजय कुमार जैन, दर्शन कुमार जैन, लाली गगनेजा, हरमेश कुमार सिगला, विजय कुमार व सुनील गर्ग उपस्थित थे।