स्मरण शक्ति को कमजोर कर देती है चिंता
चिता ऐसी रव्यक्ति के सर्व सुखों को खा जाती है।
संवाद सूत्र, मलोट (श्री मुक्तसर साहिब)
चिता ऐसी रव्यक्ति के सर्व सुखों को खा जाती है। चिता चिता के समान कही गई है। चिता व्यक्ति के स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती है। चिता मानसिक स्वास्थ्य को भी आघात पहुंचाती है। चिता से व्यक्ति का व्यवसाय भी प्रभावित होता है और चिता से व्यक्ति के संबंधों में भी खटास आ जाती है। व्यक्ति का मस्तक बहुमूल्य होता है लेकिन चिता व्यक्ति के मस्तिष्क और स्मरण शक्ति को कमजोर कर देती है। आज इतनी बीमारियां है इसका प्रमुख कारण चिता है। कुल मिलाकर चिता व्यक्ति के दिल वाले दिमाग की दुश्मन है। चिता घुन के सामान है जो व्यक्ति को आंतरिक रूप से खोखला कर देती है। उन्होंने कहा यदि इंसान शरीरिक, मानसिक, परिवारिक व आध्यात्मिक सुख पाना चाहता है तो उसे चिता को उतार फेंकना होगा। न भूत की चिता करो न भविष्य की चिता करो, वर्तमान के मालिक बनो।
जो बीत गया सो बीत गया अब उसकी चिता करने से क्या होगा। जो आया ही नहीं उसकी चिता भी कैसी जिसने कल दिया है वह कल की व्यवस्था भी करेगा। जिसने चोंच दी है वह चोगा भी देगा। इंसान किसी का पालनहार नहीं। हर जीव अपना भाग्य साथ लेकर आता है। उसका भाग्य अपने आप उसकी व्यवस्था करता है। इंसान भ्रम में जीता है कि वह अपने परिवार का पालनहार है अगर वह ने रहा तो बीबी बच्चे सब भूखे मर जाएंगे । सब अपने अपने भाग्य से जीते हैं । बीबी बच्चे को लंगड़े लूले पैदा नहीं हुए है। वह कमाएंगे और खाएंगे फिर चिता किस बात की।
इस मौके पर एसएस जैन सभा के प्रधान प्रवीन जैन, कोषाध्यक्ष रमेश जैन, धर्मवीर जैन, बिहारी लाल जैन, सुभाष जैन, राजेंद्र जैन, विजय कुमार जैन, दर्शन, लाली गगनेजा, सुनील कुमार गर्ग व श्रद्धालु भ्ज्ञी उपस्थित थे।