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गंगा दर्शन व स्नान के समान कोई तीर्थ नहीं : स्वामी कमलानंद जी

स्वामी कमलानंद गिरि जी ने कार्तिक महात्म्य सुनाते हुए कहा कि गंगा का महत्व बहुत अधिक है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 05:53 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 05:53 PM (IST)
गंगा दर्शन व स्नान के समान कोई तीर्थ नहीं : स्वामी कमलानंद जी
गंगा दर्शन व स्नान के समान कोई तीर्थ नहीं : स्वामी कमलानंद जी

संवाद सूत्र, श्री मुक्तसर साहिब : स्वामी कमलानंद गिरि जी ने कार्तिक महात्म्य सुनाते हुए कहा कि समस्त तीर्थ नदियों में स्नान, चारों धामों के दर्शन, 108 गायों का दान करने का जो फल है वही फल कार्तिक मास व्रत करने एवं महात्म्य श्रवण से मिल जाता है। हिदू सनातन को मानने वाले सभी कार्तिक की विशेषताओं को समझते हुए इस माह धर्म-कर्म करते हैं तो उनको अलौकिक सुख एवं अंत में मोक्ष प्राप्त होगा। महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि जी ने ये विचार श्री राम भवन में चल रहे वार्षिक कार्तिक महोत्सव के दौरान वीरवार को श्रद्धालुओं के विशाल जनसमूह के समक्ष प्रवचनों की अमृतवर्षा करते हुए व्यक्त किए। स्वामी जी महाराज ने कहा कि तीर्थराज प्रयाग में निवास एवं संगम स्नान सिद्धि प्राप्त कराने वाला, दुस्वप्न विनाशक, संपूर्ण पापों को जला देने वाला, दुष्ट ग्रह निवारक, रोग विनाशक, आयु वृद्धि कर्ता होने के कारण तीर्थराज प्रयाग कलियुग में विशेष महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि कलियुग में ऋषि-मुनियों ने मुक्त कंठ से तीर्थराज प्रयाग (जिसमें गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम है) को अति श्रेष्ठ कहा है। यदि गंगा स्नान करने हरिद्वार या प्रयाग जा सकें तो बहुत अच्छी बात है। यदि नहीं भी जा सकते हैं तो गंगा जी का स्मरण करते हुए व्यक्ति कहीं भी स्नान करे तो मां गंगा की कृपा से उसे मोक्ष मिल जाता है। गंगा दर्शन व गंगा स्नान के समान कोई तीर्थ नहीं है। जन्म देने वाली माता के समान कोई गुरू नहीं है। चतुर्भुज नारायण विष्णु के समान कोई देव नहीं हैं। गुरू से परे कोई तत्व नहीं। जैसे चारों वर्णों में ब्राह्मण श्रेष्ठ है। नक्षत्रों में चंद्रमा श्रेष्ठ है। समुद्रों में क्षीरसागर श्रेष्ठ है। ऐसे समस्त नदियों में गंगा जी श्रेष्ठ हैं। वेद की माता गायत्री हैं। कथा के दौरान मंदिर में रोजाना जप, तुलसी पूजा, भगवान शिव की पूजा, शालिग्राम जी का अभिषेक, कार्तिक मास महात्म्य की कथा, सुमधुर भजन एवं संकीर्तन से आनंददायक माहौल बन रहा है। निरंतर गंगाजल का सेवन बनाता है निरोगी स्वामी जी ने गंगा जल की महिमा सुनाते हुए कहा कि दुनिया में बाकी जितना भी जल है वह कुछ ही दिनों में खराब हो जाता है। गंगाजल को चाहे पचास वर्षों तक किसी बोतल में डालकर भी रखेंगे तो पचास वर्ष पहले जैसा ही साफ व निर्मल ही रहेगा। निरंतर गंगाजल का सेवन करने वाले व्यक्ति को जीवन में कभी कोई रोग नहीं लगता। उन्होंने कहा कि जो गरीब, बेसहारा, अनाथ, दरिद्र, मठ, मंदिर, गौशाला, धर्मशाला, अनाथालय, विद्यालय, कुष्ठ आश्रम, वृद्ध आश्रम ऐसी आवश्यकता वाली जगहों पर दान देना जानते हैं उनको दाता या देवता कहा गया है। राक्षस वही है जो केवल रखना जानते हैं। अधिक समय तक रखने पर हर चीज खराब हो जाती है। इसलिए हर वस्तु का सही सदुपयोग होता रहे, यह बेहद जरूरी है।

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