डीसी दफ्तर के सामने अनिश्चितकालीन धरना शुरू
गुलाबी सुंडी से बर्बाद हुई नरमा की फसल का मुआवजा जारी करने के लिए किसानों व मजदूरों ने प्रदर्शन किया।
जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब गुलाबी सुंडी से बर्बाद हुई नरमा की फसल का मुआवजा जारी करने, लंबी में किसानों पर लाठीचार्ज करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने सहित अन्य मांगों को लेकर पंजाब खेत मजदूर यूनियन और भारतीय किसान यूनियन एकता उग्राहां की ओर से बुधवार को डीसी दफ्तर के सामने अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया गया है। प्रदर्शनकारियों की ओर से राज्य सरकार व जिला प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई।
खेत मजदूर यूनियन के जिला प्रधान गुरजंट सिंह साउंके, भाकियू के जिला प्रधान पूरन सिंह दोदा तथा महासचिव गुरभगत सिंह भलाईआना ने लगाया कि पंजाब में इंकलाबी बदलाव का नारा देकर सत्ता में आई भगवंत मान की सरकार भी पिछली सरकारों की लारे लगाने वाली नीतियों पर ही चल रही है। गुलाबी सुंडी से बर्बाद हुई नरमे की फसल का काश्तकार किसानों व मजदूरों को मुआवजा देने की संघर्ष करके मनवाई गई मांग को मुख्यमंत्री भगवंत मान की ओर से बार-बार लागू करने के दिए गए भरोसे के बावजूद जिला प्रशासन ने इसे अभी तक लागू नहीं किया है। नरमे के मुआवजे की मांग को लेकर लंबी में संघर्ष करते हुए किसानों और मजदूरों पर दर्ज किए केस वापस लेने व लाठीचार्ज के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को भी मुख्यमंत्री ने मंजूर किया था। लेकिन इस मामले में भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जिसके चलते भाकियू और खेत मजदूर यूनियन को फिर से संघर्ष शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। किसान-मजदूर नेताओं ने उक्त मांगों के अलावा हाल ही में हुई वर्षा से बर्बाद हुई फसलों का भी किसानों और मजदूरों को मुआवजा देने, मनरेगा के तहत मजदूरों के लिए काम का प्रबंध करने, आटा दाल स्कीम में की गई 12 फीसद की कटौती को वापस लेने, लंपी स्किन बीमारी से मरे पशुओं का मुआवजा देने, ड्रेनेज विभाग के गिद्दड़बाहा स्थित दफ्तर को फिरोजपुर लेकर जाने के फैसले को रद करने आदि की भी मांग की। उन्होंने उनकी उक्त मांगें पूरी न करने पर शुक्रवार को डीसी दफ्तर का घेराव करने की चेतावनी भी दी।
इस मौके हरबंस सिंह कोटली, गुरपाश सिंह सिघेवाला, बिट्टू मल्लण, सुच्चा सिंह कोटभाई, भूपिदर सिंह चन्नू, राजा सिंह महांबद्धर, हरफूल सिंह भागसर, काका सिंह खुंडे हलाल, काला सिंह, राजा सिंह खुन्नण खुर्द, बाज सिंह भुट्टी वाला, जसविदर कौर दबड़ा आदि ने भी अपने-अपने विचार रखे।